Buddha Purnima Date: कब है वैशाख पूर्णिमा? जानें शुभ योग, मुहूर्त एवं पूजा विधान और कैसे मिलती है अकाल-मृत्यु के भय से मुक्ति?
बुद्ध पूर्णिमा (Photo Credits: pixabay)

सनातन धर्म में पूर्णिमा (Purnima) एवं अमावस्या (Amavasya) तिथि का विशेष महत्व माना जाता है. पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा का स्वामित्व और अमावस्या तिथि पितृ-देवों को समर्पित होती है. दोनों ही तिथियों पर श्रद्धालु पूरी श्रद्धा, भक्ति एवं आस्था के साथ उपवास रखते हुए पूजा-अर्चना करते हैं. इस पूर्णिमा की रात चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य एवं दीप दान किया जाता है. आइये जानते हैं बुद्ध वैशाख मास में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि के बारे में. Magh Purnima 2021: आज है माघी पूर्णिमा! प्रयागराज त्रिवेणी संगम में स्नान करने इस रूप में अवतरित होते हैं देवतागण!

शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु ने विश्व में शांति की स्थापना के लिए वैशाख पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध का अवतार लिया था. इसलिए वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस बार बुद्ध पूर्णिमा का पर्व 26 मई बुधवार के दिन मनाया जायेगा. संयोग से इसी दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने जा रहा है. इसलिए पूर्णिमा और चंद्रग्रहण के संयोग से दान-पुण्य का भी कहीं ज्यादा महत्व बताया जा रहा है.

दो शुभ योगों में मनायेंगे बुद्ध पूर्णिमा

यह पूर्णिमा दो शुभ योगों के बीच मनाने का अवसर मिल रहा है. पहला शिव योग और दूसरा स्वास्थ्य सिद्धि योग. 25 मई (मंगलवार) की रात 10.52 बजे तक शिव योग रहेगा. इसके बाद स्वार्थ सिद्धि योग शुरु हो जायेगा. इन दोनों ही योगों को बहुत शुभ माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन दोनों ही योगों में किसी भी तरह के शुभ कार्य बिना पंचांग देखे भी किये जा सकते हैं. साथ ही इस पावन दिन चंद्रमा एवं सूर्य दोनों वृष राशि में विराजमान रहेंगे.

कैसे करें पूजा अर्चना

वैशाख पूर्णिमा के दिन किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व बताया जाता है. यदि कोरोना संक्रमण के कारण किसी पवित्र नदी में स्नान करने का अवसर नहीं मिल रहा है तो स्नान वाले जल में कुछ बूंदे गंगाजल की मिलाकर स्नान करने से भी गंगा-स्नान का पुण्य-लाभ प्राप्त होता है. स्नान-ध्यान करने के पश्चात घर के मंदिर की अच्छी तरह साफ-सफाई करें. भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराने के बाद गंगाजल से स्नान करायें. अब प्रतिमा के सामने धूप दीप प्रज्जवलित करें. अक्षत, रोली पुष्प, तुलसी, पीले रंग का कोई मिष्ठान एवं मौसमी फल अर्पित करें. इस दिन मृत्यु के देवता धर्मराज यमराज की पूजा करने की भी मान्यता है. कहते हैं कि इस दिन सत्य विनायक व्रत करने से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है. पूजा के पश्चात तिल और शक्कर का दान करने से अन्जाने में किये पापों से भी मुक्ति मिलती है. चंद्रमा को पूर्णिमा का स्वामित्व माना जाता है. 26 मई को चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देने के पश्चात दीप-दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है, तथा हमारे तन और मन पर चंद्रमा का शुभ प्रभाव पड़ता है.

बुद्ध पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त

पूर्णिमा प्रारंभः रात्रि 08.30 बजे से (25 मई, मंगलवार 2021)

पूर्णिमा समाप्तः शाम­ 04.43 बजे तक (26 मई, बुधवार 2021)