हर साल पूरे भारत में 26 नवंबर को नेशनल दूध दिवस मनाया (National Milk Day) जाता है. सभी के जीवन में दूध के महत्व को बताने के लिए सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश भारत इस दिन को मनाता है. आपको बता दें कि राष्ट्रीय दूध दिवस (नेशनल मिल्क डे) और विश्व दूध दिवस दो अलग-अलग कार्यक्रम हैं और अलग-अलग तिथियों पर अलग-अलग महत्व के साथ मनाए जाते हैं. यह भी पढ़ें: National Milk Day 2018: मिल्कमैन वर्गीज कुरियन ने भारत को बनाया दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक, 20 लाख किसानों को दिलाया रोजगार
राष्ट्रीय दूध दिवस पूरे भारत में 26 नवंबर को मनाया जाता है और इसे 2014 में खाद्य और कृषि संगठन द्वारा स्थापित किया गया था. यह दिन डॉ. वर्गीज कुरियन (Dr Verghese Kurien) को सम्मानित करने के लिए समर्पित है, जिन्हें भारत की श्वेत क्रांति का जनक माना जाता है. 26 नवंबर को उनकी जयंती भी है, यही कारण है कि यह दिन और भी महत्वपूर्ण है. यह दिन देश की डेयरी खेती और उत्पादन में उनके योगदान को भी उजागर करता है. यह भी पढ़ें: World Milk Day 2020: वर्ल्ड मिल्क डे विशेष - वायरस से लड़ने में दूध करेगा मदद, सबके लिए एक ग्लास दूध है जरूरी
पहला राष्ट्रीय दूध दिवस:
2014 में इंडियन डेयरी एसोसिएशन (आईडीए) ने पहली बार इस दिन को मनाने की पहल की. पहले राष्ट्रीय दूध दिवस को 26 नवंबर 2014 को चिह्नित किया गया था, जिसमें 22 राज्यों के विभिन्न दुग्ध उत्पादकों ने भाग लिया था. केरल में जन्मे डॉ वर्गीज कुरियन को 'मिल्कमैन ऑफ इंडिया' और 1970 के दशक की श्वेत क्रांति के जनक के रूप में जाना जाता है.
राष्ट्रीय दूध दिवस के बारे में कुछ रोचक तथ्य:
दूध कैल्शियम का सबसे अच्छा स्रोत है और दुनिया में एकमात्र पेय है जिसमें इतनी बड़ी मात्रा में प्राकृतिक पोषक तत्व होते हैं. डॉ. वर्गीज ने देश को दूध के अपने उत्पादन केंद्रों को सक्षम करने की दिशा में काम किया. अमूल गर्ल के विज्ञापन अभियान को बनाने में उनका समर्थन महत्वपूर्ण था, जो दशकों से सबसे लंबे समय तक चलने वाले अभियानों में से एक है. उन्हें रेमन मैग्सेसे पुरस्कार, विश्व खाद्य पुरस्कार, पद्म श्री, पद्म विभूषण, पद्म भूषण और वाटेलर शांति पुरस्कार (Wateler Peace Prize) से सम्मानित किया गया है.