सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) सहित खाड़ी देशों में मुहर्रम का चांद 25 जून की शाम को देखे जाने की संभावना है. अगर चांद दिखता है, तो 26 जून 2025 को इस्लामी नववर्ष (1447 AH) की शुरुआत होगी. मुहर्रम, इस्लामी पंचांग का पहला महीना है, और इसे चार पवित्र महीनों में से एक माना जाता है. इस्लामी कैलेंडर चंद्रमा पर आधारित होता है. हर महीना नई चांद की पहली झलक से शुरू होता है. इस बार भी 25 जून की शाम को चांद दिखने की पुष्टि के बाद, 26 जून को मुहर्रम की पहली तारीख मानी जाएगी. हालांकि, कुछ देशों में यह एक दिन आगे या पीछे हो सकती है.
हिजरी कैलेंडर का इतिहास
इस्लामी कैलेंडर की शुरुआत 622 ईस्वी में हिजरत (Migration) से मानी जाती है, जब पैगंबर मुहम्मद (स.) ने मक्का से मदीना की ओर कूच किया था. यही घटना इस्लामी कालगणना का आधार बनी.
यह दिन जश्न का नहीं
मुहर्रम को इस्लाम में युद्ध निषेध महीना माना जाता है. इस महीने में अधिकांश मुसलमान. कुरान की तिलावत करते हैं. विशेष नमाजें पढ़ते हैं. दान-पुण्य और आत्मचिंतन करते हैं. जश्न की बजाय सादगी और श्रद्धा रखते हैं.
शिया और सुन्नी परंपराओं में अंतर
सुन्नी मुसलमान: मुहर्रम की 10वीं तारीख, अशूरा, को रोज़ा रखते हैं. इसे हजरत मूसा द्वारा लाल सागर पार करने की याद में मनाते हैं
शिया मुसलमान: पहले दस दिनों को शहादत और मातम के रूप में मनाते हैं. 10वीं तारीख को हज़रत इमाम हुसैन की करबला में शहादत की याद में काले कपड़े पहनते हैं. मातमी जुलूस निकालते हैं. मजलिस और मातम करते हैं
अशूरा 2025: 5 जुलाई को पड़ने की संभावना
अगर 26 जून को मुहर्रम की शुरुआत होती है, तो 10वीं तारीख (अशूरा) 5 जुलाई 2025 को मनाई जाएगी. यह दिन शिया मुसलमानों के लिए गहन शोक का प्रतीक है, जबकि सुन्नी मुसलमान स्वेच्छा से रोजा रखते हैं.













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