Maha Shivratri 2020: बारात में भूत-प्रेत और पिशाचों को देख पार्वती की मां ने शादी से कर दिया था मना, जानें फिर कैसे हुआ शिव-पार्वती का विवाह
महाशिवरात्रि 2020 (Photo Credits: Facebook)

Happy Maha Shivratri 2020: प्रत्येक माह शिवरात्रि (Shivratri) मनाने के बाद आज पूरा देश महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) मना रहा है. हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि पर्व का विशेष महात्म्य है. भोलेनाथ (Bholenath) के प्रति भक्तों की आस्था ही है कि महाशिवरात्रि के अवसर पर जो भी भक्त शिवजी की पूजा-अर्चना करता है और शिवलिंग पर दूध, बेल-पत्र, पुष्प, धतूरा, बेर आदि अर्पित करता है, भगवान शिव (Lord Shiva) उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. शिव पुराण में महाशिवरात्रि मनाने की कई वजहें उल्लेखित हैं, इनमें से प्रमुख है कि आज के ही दिन भोले भंडारी भगवान शिव (Lord Shiva) ने  माता पार्वती (Mata Parvati) के साथ सात फेरे लेकर उन्हें अपनी पत्नी बनाया था, लेकिन शिव-पार्वती का विवाह (Shiv Parvati Vivah) आम नहीं था. शिवजी के बारातियों को देखकर विवाह में उपस्थित सारी महिलाएं डर कर भाग गई थीं. तो आइये जानें भगवान शिव एवं माता पार्वती के विवाह की अनोखी दास्तान को...

शिव पुराण के अनुसार, माता पार्वती का जन्म राजा हिमालयराज के घर हुआ था. उनकी माता का नाम रानी मैनावती था. राजा हिमालयराज की कोई कन्या नहीं थी. राजा द्वारा बहुत पूजा-पाठ और यज्ञादि करने के बाद उनके घर में एक कन्या ने जन्म लिया. उसका नाम पार्वती रखा गया. पार्वतीजी ने बचपन में ही शिवजी को अपना पति मानकर उनके साथ विवाह करने की प्रतिज्ञा ले रखी थीं. लेकिन भगवान शिव के साथ विवाह करना इतना आसान नही था. भगवान शिव को पाने के लिए माता पार्वती ने जंगल में जाकर कठोर तप किया. जब भगवान शिव को पार्वती के इस कठोर तप का पता चला तो उन्होंने पार्वती की परीक्षा लेने के लिए के लिए सप्तऋषियों को उनके पास भेजा. यह भी पढ़ें: Maha Shivratri 2020 Wishes & Images: भगवान शिव के इन मनमोहक WhatsApp Stickers, GIF Greetings, HD Photos और Wallpapers को भेजकर अपनों से कहें हैप्पी महाशिवरात्रि

सप्तऋषियों ने पार्वती को हर तरह से समझाने का प्रयास किया कि शिव औघड़, अमंगल नागधारी वगैरह हैं, उनके साथ तुम्हारी जोड़ी निभेगी नहीं, क्योंकि तुम्हारी परवरिश एक राजकुमारी की तरह हुई है. तुम चाहो तो हिमालयराज तुम्हारे लिए एक से बढ़कर एक रिश्ते आ सकते हैं, लेकिन लाख समझाने के बावजूद माता पार्वती ने शिवजी को पाने की अपनी हठ नहीं छोड़ी. माता पार्वती की जिद और शिवजी को प्राप्त करने की द्दढ़ इच्छा को देखते हुए सप्तऋषि उन्हें सफलता प्राप्ति का आशीर्वाद देकर वापस चले आये. जब शिवजी को सारी बात पता चली तो वह मुस्कुराएं कि पार्वती भी उन्हीं की तरह हठी हैं, इसलिए यह जोड़ी खूब निभेगी. शिव जी ने भी माता पार्वती को सफल होने का आशीर्वाद दिया.

कहते हैं कि हिमालयराज ने शिव-पार्वती के विवाह का प्रस्ताव लेकर एक पुरोहित और नाई को शिव जी के पास भेजा. शिवजी ने उन दोनों को थोड़ा-थोड़ा भभूत देकर विदा कर दिया. राख के रूप में भभूत देखकर नाई ने गुस्से में भभूत वहीं सड़क के किनारे फेंक दिया. लेकिन पुरोहित ने भभूत को संभाल कर अपनी टेंट में संभालकर रख लिया. इसका परिणाम यह हुआ कि पुरोहित के सारे कष्ट खत्म हो गये और वह खूब धनवान हो गया. यह भी पढ़ें: Maha Shivratri 2020 Messages: महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर प्रियजनों को शुभकामनाएं देने के लिए भेजें ये शानदार हिंदी WhatsApp Stickers, Facebook Greetings, GIF Images, Photo SMS और वॉलपेपर्स

उधर नाई को जब भभूत की सच्चाई का पता चला तो उसने पुरोहित से आधे धन की मांग की. पुरोहित ने उसे भभूत देने के बजाय शिवजी के पास जाने का सुझाव दिया, लेकिन नाई ने पार्वती के पिता राजा हिमालयराज से शिव की गरीबी और अभाव की बात बता दी. हिमालयराज ने शिव जी को संदेश भिजवाया कि बारात में सभी देवी-देवताओं को लेकर आएं. इसके बाद सप्तऋषियों ने शिव-पार्वती के विवाह का मुहूर्त निकाला.

दोनों तरफ से शादी की तैयारियां शुरू हो गई. लेकिन समस्या ये थी कि भगवान शिव तपस्वी थे. पारिवारिक नहीं होने से उन्हें नहीं समझ में आया कि वे पार्वती के पास बारात लेकर कैसे जाएं. अंततः उन्होंने अपने साथ डाकिनियां, भूत-प्रेत और चुड़ैलों को साथ ले जाने का निर्णय किया. तपस्वी होने के चलते शिव इस बात से अवगत नहीं थे कि विवाह के लिए किस प्रकार से तैयार हुआ जाता है. उनके डाकिनियों और चुड़ैलों ने शिवजी को भस्म से सजाकर हड्डियों की माला पहना दी. यह भी पढ़ें: Maha Shivratri 2020 Wishes: महाशिवरात्रि पर इन भक्तिमय हिंदी WhatsApp Stickers, SMS, HD Images, Facebook Greetings, Messages, Wallpapers के जरिए शिव भक्तों को दें शुभकामनाएं

जब पार्वती के महल में ये अनोखी बारात पहुंची, तो सभी देवता हैरान रह गए. वहां खड़ी महिलाएं भी डर कर भाग गई. शिव को इस विचित्र रूप में पार्वती की मां भी उन्हें स्वीकार नहीं कर पाईं. उन्होंने अपनी बेटी का हाथ शिवजी को देने से मना कर दिया. स्थितियां बिगड़ती देख पार्वती ने शिवजी से प्रार्थना की कि वो उनके रीति-रिवाजों के मुताबिक तैयार होकर आएं. शिव ने उनकी बात मान ली. शिवजी ने सभी देवताओं को फरमान दिया कि वे उन्हें खूबसूरत रूप से तैयार करें.

ये सुन सभी देवता उन्हें तैयार करने में जुट गए. भगवान शिव को दैवीय जल से नहलाया गया और रेशम के फूलों से सजाया गया. थोड़ी ही देर में भोलेनाथ कंदर्प से भी ज्यादा सुदंर लगने लगे. उनका गोरापान तो चांद की रोशनी को भी मात दे रहा था. भगवान शिव इस दिव्य रूप को देखते ही पार्वती की मां ने तुरंत स्वीकार कर लिया और ब्रह्मा जी की उपस्थिति में विवाह समारोह शुरू हो गया. माता पार्वती और भोलेबाबा ने एक दूसरे को वर माला पहनाई और ये विवाह संपन हुआ.