Magh Purnima 2023: माघ (Magh) माह 2023 अपने अंतिम चरण में है. हिंदू धर्म शास्त्रों में माघ का माह स्नान और दान का माह माना जाता है. माघ माह की पूर्णिमा को माघी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू शास्त्रों की मान्यताओं के अनुसार माघी पूर्णिमा के दिन देवलोक के समस्त देवता पृथ्वी लोक में अवतरित होते हैं और गंगा में स्नान करते हैं. इसलिए इस दिन पृथ्वीवासी पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और जरूरतमंदों को दान देकर पुण्य अर्जित करते हैं. माघी पूर्णिमा के दिन कल्पवासी अपने-अपने घरों की ओर लौटते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं. आइये जानें माघी पूर्णिमा के संदर्भ में विस्तार से... यह भी पढ़ें: History Of Mughal Garden: एडविन लुटियंस द्वारा तैयार गार्डन का नाम मुगल गार्डन क्यों पड़ा? जानें इस अमृत-उद्यान का रोचक इतिहास!
माघी पूर्णिमा का महात्म्य
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार मघा नक्षत्र के नाम से माघ पूर्णिमा की उत्पत्ति होती है. मान्यताओं के अनुसार माघ माह में देवतागण मानव रूप में प्रयागराज स्थित त्रिवेणी में स्नान-दान, जप एवं यज्ञ आदि करते हैं. इसलिए इस दिन त्रिवेणी स्नान करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, और जीवन के अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन पुष्य और सर्वार्थ सिद्धि नक्षत्र के निर्माण के कारण माघ पूर्णिमा का महत्व कई गुना बढ़ जाता है.
माघ पूर्णिमा तिथि और शुभ मुहूर्त
माघ पूर्णिमा आरंभः 09.29 PM (04 फरवरी 2023) AM
माघ पूर्णिमा समाप्तः 11.58 PM (05 फरवरी 2023) AM
माघ पूर्णिमा सूर्योदयः 07.07 AM
माघ पूर्णिमा सूर्यास्त: 06.03 PM
ब्रह्म मुहूर्तः 05.23 AM से 06.15 AM (05 फरवरी 2023)
अभिजित मुहूर्तः 12.13 PM से 12.57 PM तक
विजय मुहूर्तः 05 फरवरी को 02:25 PM से 03:08 PM तक
रवि पुष्य योगः 07.07 PM से 12:13 PM तक
सर्वार्थ सिद्धि योगः 07.07 AM से 12:13 PM तक
व्रत एवं पूजा विधि!
माघ पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पूर्व गंगा अथवा त्रिवेणी स्नान करना चाहिए. यदि गंगा-स्नान संभव ना हो तो घर में स्नान वाले जल में गंगाजल की कुछ बूंदे मिला कर स्नान करें. ऐसा करके भी गंगा स्नान का पुण्य प्राप्त होता है. याद रखें गंगा स्नान के समय पांच डुबकियां अवश्य लगानी चाहिए और साथ ही निम्न मंत्र का जाप करते रहना चाहिए.
ऊं नमो नारायण:
स्नान के पश्चात जल में तिल एवं लाल पुष्प डालकर सूर्य को अर्घ्य दें. इसके पश्चात पूजा शुरू करें. माघ पूर्णिमा के दिन चंद्रमा के साथ-साथ धन की देवी माँ लक्ष्मी का भी विधान है. स्नान-दान एवं सूर्य अर्घ्य के पश्चात माँ लक्ष्मी को पान, तिल, मौली, रोली, कुमकुम, फूल, फल. सुपारी, तुलसी आदि अर्पित करें. शाम को चंद्रोदय के पश्चात चंद्रमा की पूजा करने से चंद्रदोष दूर होता है.