Lunar Eclipse 2020: इस साल होंगे 4 चंद्रग्रहण, इनमें से एक है मांद्य चंद्रग्रहण! जानें ये क्यों होता है, क्यों नहीं होगा इसका भारत पर असर!
चंद्रग्रहण (Photo Credits: Wikipedia)

Lunar Eclipse 2020: साल का पहला चंद्रग्रहण इस बार पूर्णिमा यानी 10 जनवरी शुक्रवार को लग रहा. ज्योतिषियों का मानना है कि इस बार मांद्य चंद्रग्रहण होने के कारण सूतक नहीं रहेगा. इसलिए ग्रहणकाल में नियमित रूप से पूजा पाठ किया जा सकेगा. नासा के अनुसार कुछ ही देशों में चंद्रग्रहण दिखेगा, इसमें एक देश भारत भी है. लेकिन इस बार चंद्र ग्रहण पर चंद्रमा को घटते-बढ़ते नहीं देखा जा सकेगा. चंद्रमा के आगे धूल की एक परत सी दिखेगी. ज्योतिषियों के मतानुसार इसीलिए इस बार चंद्रग्रहण का जन-मानस पर कोई विशेष असर नहीं होगा. आइए जानें क्या और क्यों होता है मांद्य चंद्रग्रहण.. यह भी पढ़ें: चंद्रग्रहण 2019: ग्रहण के दिन भूलकर भी न करें ये 5 गलतियां, नहीं तो उठाना पड़ सकता है भारी नुकसान

4 घंटे 50 मिनट का होगा चंद्रग्रहण

इस बार चंद्रग्रहण को लेकर विद्वानों में मतभेद है. कुछ पंचांगों के अनुसार तो इस पूरे वर्ष में एक भी चंद्रगहण का योग नहीं है, जबकि कुछ पंचांगों में साल में पूरे चार चंद्रग्रहण के योग बन रहे हैं. ऐसे ही एक पंचांग निर्णय सागर में उल्लेखित है कि 10 जनवरी को लगने वाला ग्रहण रात 10.38 बजे शुरू होगा और 2 बजकर 42 मिनट पर इसका मोक्ष होगा. यानी ग्रहण लगभग 4 घंटे 50 मिनट का होगा.

क्या है मांद्य चंद्र ग्रहण

मांद्य चंद्र ग्रहण का आशय है न्यूनतम यानी चंद्रमा के मंद होने की क्रिया. यही वजह है कि इस बार चंद्र ग्रहण के कारण सूतक नहीं लगेगा. इस चंद्र ग्रहण के कारण चंद्रमा के लगभग 90 फीसदी भाग में मटमैली छाया जैसी दिखेगी. लेकिन चंद्रमा ग्रहण ग्रस्त नहीं दिखेगा. इसे नंगी आंखों से देखने में समझ में नहीं आएगा. चंद्रमा के इस रूप को दूरबीन जैसे उपकरणों से ही देखा जा सकेगा.

क्यों होता है मांद्य चंद्र ग्रहण

जिस समय चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य तीनों एक सीधी लाइन में आते हैं तो पृथ्वी के कारण चंद्रमा पर सूर्य की रोशनी सीधी नहीं पहुंच पाती. पृथ्वी की छाया पूरी तरह से चंद्रमा पर पड़ती है. इस प्रक्रिया को चंद्र ग्रहण कहते हैं, वहीं मांद्य चंद्रग्रहण में चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य एक सीधी लाइन में नहीं होते हैं, जिससे चंद्रमा आधा-अधूरा नहीं दिखता है, बल्कि धुंधला-सा नजर आता है. इसी वजह से मांद्य चंद्र ग्रहण की स्थिति बनती है.

इस बार चंद्र पर राहु की छाया नहीं पड़ेगी

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चंद्र ग्रहण काल में चंद्र पर छाया के रूप में राहु नजर आता है, लेकिन इस बार ग्रहण में छाया नहीं बनेगी और जब छाया ही नहीं पड़ेगी तो राहु के ग्रसने वाली बात भी चरितार्थ नहीं होगी. यह ग्रहण केवल उपच्छाया मात्र है. इसलिए ग्रहण में चंद्रमा पर राहु की छाया नहीं पड़ेगी.

किन-किन देशों में दिखेगा चंद्र ग्रहण

10 जनवरी की रात होने वाला चंद्र ग्रहण मिथुन राशि के नक्षत्र में होगा. ये चंद्रग्रहण ग्रहण कनाडा, यूएस, ब्राजील, अर्जेंटीना, अंटार्कटिका में नहीं दिखेगा. जबकि भारत सहित विश्व के कई हिस्सों में दिखेगा. भारत में ये चंद्र ग्रहण नजर आएगा, लेकिन मांद्य ग्रहण होने के कारण सूतक नहीं रहेगा. हिंद महासागर (इंडियन ओशिन) में ग्रहण दिखाई देगा. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार ये ग्रहण 10 जनवरी की रात में शुरू होकर अगले दिन यानी 11 जनवरी की प्रातः 2 बजकर 42 मिनट तक रहेगा.

ज्योतिषियों के अनुसार इस साल यानी 2020 में कुल 4 चंद्र ग्रहण का योग है. ये चारों ही मांद्य चंद्र ग्रहण होंगे. केवल 10 जनवरी वाला ग्रहण ही भारत में दिखाई देगा, शेष तीन चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखेंगे. दूसरा ग्रहण शुक्रवार, 5 जून को, तीसरा रविवार, 5 जुलाई को और चौथा सोमवार, 30 नवंबर को होगा.