Kartik Purnima 2023 Wishes in Hindi: हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा (Kartik Purnima) तिथि को भगवान शिव (Bhagwan Shiv) की पावन नगरी काशी (Kashi) में देव दीपावली (Dev Deepawali) का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल 27 नवंबर 2023 को कार्तिक पूर्णिमा मनाई जा रही है, जबकि देव दीपावली 26 नवबंर को मनाई जा रही है. इस दिन वाराणसी में देव दीपावली की दिव्यता और भव्यता देखते ही बनती है. दरअसल, कार्तिक मास की अमावस्या को दिपावली (Deepawali) यानी लक्ष्मी पूजन का पर्व मनाए जाने के 15 दिन बाद देव दीपावली का त्योहार मनाया जाता है. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, इस पावन तिथि पर स्वर्ग लोक से सभी देवी-देवता देव दिवाली का त्योहार मनाने के लिए काशी आते हैं. इस दिन शाम के समय मां गंगा की विशेष आरती की जाती है और काशी के 84 घाटों को दीयों की रोशनी से रोशन किया जाता है. इस दिन लोग गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाते हैं और जरूरतमंदों को दान देने के अलावा दीपदान करते हैं.
कार्तिक पूर्णिमा से जुड़ी प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था, जबकि भगवान शिव ने त्रिपुरारी अवतार लेकर त्रिपुरासुर का संहार करके देवताओं को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी. इस पावन अवसर पर आप इन शानदार हिंदी विशेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स, कोट्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, फेसबुक मैसेजेस के जरिए अपनों को कार्तिक पूर्णिमा की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- कार्तिक पूर्णिमा की रात्रि है अति पावन,
बरसे है देवताओं का प्यार और आशीर्वाद,
चंद्रमा की चांदनी और मां लक्ष्मी का प्यार,
शुभ हो आपके लिए कार्तिक पूर्णिमा का त्योहार.
शुभ कार्तिक पूर्णिमा
2- दीपों का ये पावन त्योहार,
आपके लिए लाए खुशियां हजार,
लक्ष्मी जी विराजें आपके द्वार,
हमारी शुभकामनाएं करें स्वीकार.
शुभ कार्तिक पूर्णिमा
3- चांद सी शीतलता, शुभ्रता,
कोमलता, उदारता, प्रेमलता,
आपको और आपके परिवार को मिले.
शुभ कार्तिक पूर्णिमा
4- हम आपको कार्तिक पूर्णिमा की बधाई देते हैं,
ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि आपको जिंदगी में,
बहुत तरक्की और खुशियां मिले,
त्रिपुरारी भगवान भोलेनाथ आपकी मनोकामनाएं पूरी करें.
शुभ कार्तिक पूर्णिमा
5- कार्तिक पूर्णिमा का ये पावन त्योहार,
आपके लिए लाए खुशियां हजार,
भगवान विष्णु विराजें आपके द्वार,
हमारी शुभकामनाएं करें स्वीकार.
शुभ कार्तिक पूर्णिमा
गौरतलब है कार्तिक पूर्णिमा पर ही भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के असुर भाइयों की तिकड़ी को खत्म किया था. त्रिपुरासुर के अंत के साथ ही देवताओं को उनके अत्याचारों से मुक्ति मिली थी, इसलिए इसे त्रिपुरी पूर्णिमा या त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है. त्रिपुरासुर पर भगवान शिव की जीत का जश्न मनाने के लिए सभी देवी-देवताओं ने काशी में दीपावली मनाई थी, इसलिए इसे देव दीपावली भी कहा जाता है. कहा जाता है तब से काशी के गंगा घाटों पर कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली मनाने की परंपरा चली आ रही है.