Jaya Ekadashi 2023 Messages in Hindi: वैसे तो हर महीने भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) को समर्पित दो एकादशी के व्रत किए जाते हैं, लेकिन हर एकादशी का महत्व अलग होता है और उसकी कथा अलग होती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी (Jaya Ekadashi) के नाम से जाना जाता है, जिसका विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और सभी भौतिक व आध्यात्मिक सुखों की प्राप्ति होती है. इस साल जया एकादशी का व्रत 1 फरवरी 2023 को रखा जा रहा है. इस व्रत के महत्व को स्वंय भगवान श्रीकृष्ण (Bhagwan Shri Krishna) ने राजा युधिष्ठिर को बताया था. इसके प्रभाव से लोगों को पिछले जन्म में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है. इतना ही यह व्रत मानसिक और शारीरिक कष्टों से भी मुक्ति दिलाता है.
ऐसी मान्यता है कि माघ मास के शुक्ल पक्ष की जया एकादशी का व्रत रखकर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने से मृत्यु के पश्चात व्यक्ति को पिशाच योनी से मुक्ति मिलती है. इस व्रत के प्रभाव से सभी पाप नष्ट होते हैं और स्वर्ग में स्थान मिलता है. ऐसे में आप इस खास अवसर पर इन मैसेजेस, कोट्स, वॉट्सऐप विशेज, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, इमेजेस को भेजकर जया एकादशी की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- ॐ नमो नारायण।
श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
शुभ जया एकादशी
2- श्रीहरि विष्णु है जिनका नाम,
बैकुंठ है उनका धाम,
वो जगत के हैं पालनहार,
उन्हें शत-शत नमन है बार-बार.
शुभ जया एकादशी
3- ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
शुभ जया एकादशी
4- आपके परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आए,
भगवान आपको यश और कीर्ति दें…
शुभ जया एकादशी
5- शान्ताकारं भुजगशयनं पद्नानाभं सुरेशं।
विश्वधारं गगनसद्शं मेघवर्णं शुभाड्गमं।
लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं।
वंदे विष्णु भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।
शुभ जया एकादशी
ऐसा कहा जाता है कि मृत्यु के बाद जीवों को उनके कर्मों के अनुसार फल प्राप्त होता है, इसलिए मृत्यु के बाद भी कई लोग भूत, प्रेत और पिशाच जैसी योनी में चले जाते हैं, जबकि जया एकादशी का व्रत इस तरह की योनियों से मुक्ति प्रदान करता है. इस व्रत से जुड़ी प्रचलित कथा के अनुसार, देवराज इंद्र की सभा में नर्तकी गंधर्व कन्या पुष्यवती और गायक माल्यवान को लज्जाहीन व्यवहार करने के कारण श्राप मिला था.
इस श्राप की वजह से माल्यवान और पुष्यवती को पिशाच योनी में जाना पड़ा था. ऐसे में जब माघ मास की शुक्ल एकादशी आई तो उस दिन दोनों को कुछ खाने के लिए नहीं मिला और दोनों ठंड में भूख व प्यास से व्याकुल रात भर जागते रहे. ऐसे में अनजाने में उनसे जया एकादशी का व्रत हो गया और इस व्रत के प्रभाव से दोनों को पिशाच योनी से मुक्ति मिल गई.