Jashne Eid Milad Un Nabi Naat Sharif: ईद मिलाद-उन-नबी के अवसर पर पैगंबर मुहम्मद का जन्मोत्सव, विभिन्न नातों एवं भक्ति रस की कविताओं द्वारा सेलिब्रेट किया जाता है, जो पैगंबर के जीवन के मूल्यों और गुणों का सम्मान करता है. इस अवसर पर सबसे लोकप्रिय नात में से एक प्रसिद्ध कवि और विद्वान, हाफिज-ए-कुरान, सैयद अकबर शाह द्वारा लिखित "तेरे ही दर पे" है. यह नात आस्थावानों के साथ गहराई से जुड़ा होता है, जो पैगंबर के संदर्भ में मुसलमानों के गहरे प्रेम और श्रद्धा को दर्शाता है. इसके छंद पैगंबर के महान चरित्र, मानवता के लिए दया के रूप में उनकी भूमिका और परमात्मा और उनके अनुयायियों के बीच उनके द्वारा स्थापित परम आध्यात्मिक संबंधों को उजागर करते हैं.
ईद मिलाद-उन-नबी के दौरान इस तरह की नात का प्रभाव काफी महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि वे दुनिया भर के मुसलमानों के बीच एकता और आध्यात्मिक प्रतिबिंब की भावना पैदा करते हैं. इन कविताओं की लयबद्ध और गीतात्मक गुणवत्ता न केवल उत्सव को संगीतमय बनाती है, बल्कि पैगंबर की शिक्षाओं और उनके अनुकरणीय जीवन की याद भी दिलाती है. यह भी पढ़े: नूर वाला आया है से लेकर सरकार की आमद मरहबा तक ईद मिलाद-उन-नबी की लोकप्रिय नात!
मेरे लहू के हर कतरे में गूंज रहा ईद मिलाद (Mere Lahu Ke Har Qatre Me Gunj Raha Eid Milad Naat)
हस्बी रब्बी (Hasbi Rabbi Jallallah Huda Sisters)
मरहबा जद्दल हुसैनी मरहबा (Marhaba Jaddal Hussaini Marhaba, Muhammad Owais Raza Qadri)
सरकार आ रहें हैं (Sarkar Aa Rahe Hain)
गली गली सज गई (Gali Gali Saj Gayi)
इन नातों के पाठ में शामिल होकर, मुस्लिम समुदाय सामूहिक रूप से अपनी भक्ति और कृतज्ञता व्यक्त करते हैं, जो पैगंबर मुहम्मद द्वारा दिए गए करुणा, न्याय और शांति के शाश्वत संदेश को सशक्ति प्रदान करते हैं.