Hartalika Teej 2023 Messages in Hindi: अखंड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना से महिलाए साल में कई व्रत करती हैं, जिनमें से एक है हरतालिका तीज (Hartalika Teej), जिसका खास महत्व बताया जाता है. इस दिन महिलाएं निर्जल व्रत रखकर भगवान शिव (Bhagwan Shiv) और माता पार्वती (Mata Parvati) की पूजा करती हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, हरतालिका तीज का व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है, जबकि अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से इस साल 18 सितंबर 2023 को हरतालिका तीज मनाई जा रही है. इस व्रत को अन्य व्रतों में सबसे कठिन माना जाता है, क्योंकि करीब 36 घंटे तक महिलाएं बिना कुछ खाए-पिए निर्जल व्रत करती हैं. इस व्रत का पालन सुहागन महिलाओं के अलावा अच्छे वर की कामना से कुंवारी कन्याएं भी करती हैं. इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं सोलह श्रृंगार करके शिव-पार्वती की पूजा करती हैं.
हरतालिका तीज व्रत के दौरान महिलाएं जल ग्रहण नहीं करती हैं और इस व्रत के नियमों का सख्ती से पालन किया जाता है. व्रत का पालन करने के साथ ही इस दिन शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान किया जाता है. ऐसे में आप भी इन हिंदी मैसेजेस, कोट्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स, वॉट्सऐप स्टिकर्स के जरिए सखी-सहेलियों को हरतालिका तीज की शुभकामनाएं दे सकती हैं.
1- माथे पर बिंदिया,
मांग में सुहाग की निशानी हो,
हाथों में रची हो पिया के नाम की मेहंदी,
हाथों में लाल रंग का चूड़ा हो,
चुनरी रहे हमेशा लाल,
होंठों पर मुस्कान हो,
आप पर मां पार्वती और,
भगवान शिव का सदा आशीर्वाद हो.
हरतालिका तीज की शुभकामनाएं
2- तीज का त्यौहार है मधुर प्यार का,
सच्ची श्रद्धा और विश्वास का,
बिछिया पैरों में हो, माथे पर हो बिंदिया,
हर जन्म में मिले मुझे ऐसा पिया.
हरतालिका तीज की शुभकामनाएं
3- आपका तप रंग लाए,
शिव-पार्वती अपना आर्शीवाद बरसाएं,
आप के घर खुशहाली आए,
आप पिया का ढेर सारा प्यार पाएं.
हरतालिका तीज की शुभकामनाएं
4- ये हरतालिका तीज,
आपके लिए खुशियां लेकर आए,
आपके दांपत्य जीवन में,
नई उमंग और बहारें लाए...
हरतालिका तीज की शुभकामनाएं
5- हरतालिका तीज पर मांगो,
शिव जी से अखंड सुहाग का वरदान,
शिव रखेंगे तुम्हारी मांग का सम्मान,
देंगे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद...
हरतालिका तीज की शुभकामनाएं
हरतालिका तीज के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर पूजा स्थल पर साफ-सफाई करने के बाद हाथ में फूल और जल लेकर व्रत का संकल्प लिया जाता है. उसके बाद पूजा के मुहूर्त के अनुसार, मिट्टी से शिवलिंग, माता पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा बनाकर प्रदोष काल में विधि-विधान से पूजा की जाती है. पूजा के दौरान सबसे पहले भगवान गणेश का ध्यान किया जाता है, फिर भगवान शिव का भांग, धतूरा, बेलपत्र, सफेद चंदन, सफेद पुष्प से पूजन किया जाता है. पूजन के दौरान माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की सामग्री और चुनरी अर्पित की जाती है. इसके साथ ही व्रत की कथा पढ़ी या सुनी जाती है और आखिर में शिव-पार्वती की आरती की जाती है, फिर अगले दिन व्रत का पारण किया जाता है.