Hal Shasthi 2024 HD Images: हैप्पी हल षष्ठी! ये हिंदी WhatsApp Greetings, GIFs और Wallpapers भेजकर दें बलराम जयंती की बधाई
Hal Shashti 2024 (Photo Credits: File Image)

Hal Shasthi 2024 HD Images: हल षष्ठी (Hal Shasthi 2024) को बलराम जयंती के रूप में भी मनाया जाता है. बलराम जी भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई थे. यह दिन भगवान बलराम की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. यह दिन भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि या छठे दिन मनाया जाता है. यह त्यौहार 24 अगस्त 2024 को बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाया जाएगा. हल षष्ठी हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है जो भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी को समर्पित है. हल षष्ठी को बलराम जयंती के रूप में भी मनाया जाता है. राजस्थान में इसे 'चंद्र षष्ठी' के रूप में मनाया जाता है, गुजरात में इस दिन को 'रंधन छठ' के रूप में मनाया जाता है और ब्रज में इसे 'बलदेव छठ' के रूप में मनाया जाता है. बलराम जी शेष नाग के अवतार थे और जब भी विष्णु जी पृथ्वी पर प्रकट होते हैं तो वे अवश्य ही जन्म लेते हैं. जब भगवान श्री राम पृथ्वी पर आए तो उन्होंने लक्ष्मण जी के रूप में अवतार लिया. यह भी पढ़ें: Balaram Jayanti 2024 Wishes: बलराम जयंती की इन हिंदी WhatsApp Messages, Quotes, Facebook Greetings के जरिए दें शुभकामनाएं

बलराम जी को हलधर के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि वे अपने हाथ में हल रखते हैं इसलिए उन्हें हलधर और बलभद्र के नाम से भी जाना जाता है. किसान पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले भक्त भगवान बलराम की अपार श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजा करते हैं. वे इस शुभ दिन अपने औजार हल की भी पूजा करते हैं. महिलाएं भगवान बलराम की पूजा करती हैं और यह भी माना जाता है कि जिनके पुत्र संतान नहीं होती, उन्हें इस दिन व्रत रखना चाहिए और भगवान बलराम की पूजा करनी चाहिए देश के पूर्वी भाग में इसे ललही छठ के रूप में भी मनाया जाता है.

1-ललही छठ की हार्दिक शुभकामनाएं

Hal Shashti 2024 (Photo Credits: File Image)

2- बलदेव छठ की हार्दिक बधाई

Hal Shashti 2024 (Photo Credits: File Image)

3- हैप्पी हलषष्ठी

Hal Shashti 2024 (Photo Credits: File Image)

4- हलषष्ठी की ढेरों शुभकामनाएं

Hal Shashti 2024 (Photo Credits: File Image)

5- शुभ हलषष्ठी

Hal Shashti 2024 (Photo Credits: File Image)

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार इस व्रत का महत्व शास्त्रों में वर्णित है, एक बार भगवान कृष्ण ने उत्तरा को इस व्रत का महत्व समझाया और उसे गर्भ में पल रहे बच्चे की सलामती के लिए यह व्रत करने की सलाह दी तो उसने भगवान कृष्ण के कहे अनुसार ही किया. उसने पूरी श्रद्धा से व्रत किया और अपने नष्ट हुए गर्भ को पुनः प्राप्त किया. यह व्रत वंश वृद्धि के लिए सहायक है, इसलिए हर महिला को इस व्रत को अवश्य रखना चाहिए और पूरी आस्था के साथ पूजा करनी चाहिए.