Govardhan Puja 2020: आज (15 नवंबर 2020) गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) का पर्व मनाया जा रहा है. दरअसल, दीपावली (Deepawali) के दूसरे दिन यानी कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन गोवर्धन पूजा यानी अन्नकूट पूजा (Annakut Puja) का पर्व मनाया जाता है. इस दिन प्रकृति के आधार के रूप में गोवर्धन पर्वत (Govardhan Parvat) और समाज के आधार के रूप में गाय की पूजा की जाती है. गोवर्धन पूजा की शुरुआत ब्रज से हुई थी और धीरे-धीरे पूरे देश में यह पूजा प्रचलित हो गई. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की उपासना की जाती है और गोवर्धन पर्वत को कई प्रकार के मिष्ठान और पकवानों का भोग लगाया जाता है. इस दिन वरुण, इंद्र, अग्नि की पूजा की जाती है और गायों का श्रृंगार करके उनकी पूजा की जाती है. इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की प्रतिकृति बनाई जाती है और फिर विधिवत पूजन किया जाता है. 56 प्रकार के भोग बनाए जाते हैं और श्रीकृष्ण को अर्पित किया जाता है. इसके बाद प्रसाद के रूप में इस भोजन को ग्रहण किया जाता है.
गोवर्धन पूजा विधि
गोवर्धन पूजा के दिन सूर्योदय से पहले उठकर शरीर पर तेल लगाकर स्नान करना चाहिए. फिर घर के मुख्य द्वार पर गोबर से गोवर्धन पर्वत, ग्वाल-बाल, पेड़ पौधे और गाय की आकृति बनाएं. इसके बीच में भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा स्थापित करें. फिर भगवान श्रीकृष्ण, बाल-ग्वाल, गाय और गोवर्धन पर्वत की पूजा करें. विविधि पकवानों और पंचामृत का भोग लगाएं. इसके बाद गोवर्धन पूजा की कथा सुनें और आरती कर सब में प्रसाद वितरित करें. यह भी पढ़ें: Happy Govardhan Puja 2020 Wishes & Images: हैप्पी गोवर्धन पूजा! भगवान श्रीकृष्ण के इन मनमोहक WhatsApp Stickers, GIF Greetings, Photos, HD Wallpapers के जरिए दें सबको बधाई
शुभ मुहूर्त
कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा- 15 नवंबर 2020 (रविवार)
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ- 15 नवंबर 2020 की सुबह 10:36 बजे से,
प्रतिपदा तिथि समाप्त- 16 नवंबर 2020 की सुबह 07:05 बजे तक.
पूजा का शुभ मुहूर्त- 15 नवंबर 2020 को दोपहर 03:19 से शाम 05:26 बजे तक.
गोवर्धन पूजा का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रज में लोग अच्छी फसल के लिए भगवान इंद्र की धूमधाम से पूजा किया करते थे. कहा जाता है कि इंद्र को अपनी शक्तियों और पद पर घमंड हो गया था, देवराज इंद्र का मानमर्दन करने के लिए द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने एक लीला रची. उन्होंने ब्रजवासियों को समझाया कि गोवर्धन पर्वत की उपजाऊ धरती की वजह से वहां घास उगती है और गाय, बैल व पशुओं को चारा मिलता है. भगवान श्रीकृष्ण के समझाए जाने पर ब्रजवासियों ने इंद्र की पूजा छोड़कर गोवर्धन पर्वत की पूजा की. यह भी पढ़ें: Govardhan Puja 2020 Hindi Messages: प्रियजनों को दें गोवर्धन पूजा की शुभकामनाएं! भेजें ये Facebook Greetings, GIF Images, WhatsApp Wishes, SMS, Wallpapers और कोट्स
इससे नाराज होकर देवराज इंद्र ने ब्रज में मूसलाधार बारिश की, जिसके बाद पूरे ब्रजवासियों, गायों और पशुओं की रक्षा करने के लिए श्रीकृष्ण ने अपने बाएं हाथ की कनिष्का उंगली पर पूरे गोवर्धन पर्वत को उठा लिया. करीब सात दिनों तक उन्होंने पर्वत को अपनी उंगली पर उठाए रखा और सभी की रक्षा की. तब से हर साल कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन गोवर्धन पूजा यानी अन्नकूट पूजा का उत्सव मनाया जाने लगा. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण, गोवर्धन पर्वत व गायों की पूजा करने से मनुष्य को लंबी आयु, आरोग्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.