Govardhan Puja 2020 Hindi Messages: आज (15 नवंबर 2020) देश में गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) यानी अन्नकूट पूजा (Annakut Puja) का त्योहार मनाया जा रहा है. दरअसल, पांच दिवसीय दिवाली उत्सव (Diwali Festival) के सबसे महत्वपूर्ण पर्व दीपावली (Deepawali) यानी लक्ष्मी पूजन (Lakshmi Pujan) के अगले दिन यानी कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा का त्योहार मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन श्रीकृष्ण (Shri Krishna) ने इंद्र देव का मानमर्दन करके गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी और अपनी कनिष्का उंगली पर पर्वत उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की थी. तब से हर साल दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है. इस दिन लोग गोवर्धन पर्वत या फिर गोबर से बने गोवर्धन पर्वत की पूजा करके उनकी परिक्रमा करते हैं. पूजन के दौरान गेहूं, चावल, आटे व पत्तेदार सब्जियों का भोजन बनाया जाता है, जिसका भोग श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत को लगाया जाता है.
वैसे तो गोवर्धन पूजा यानी अन्नकूट पूजा का पर्व देश के कई हिस्सों में मनाया जाता है, लेकिन गोवर्धन यानी अन्नकूट पूजा को ब्रज नगरी में धूमधाम से मनाया जाता है. इस अवसर पर एक-दूसरे को बधाइयां दी जाती हैं. आप भी अपने प्रियजनों को इन शानदार मैसेजेस, फेसबुक ग्रीटिंग्स, जीआईएफ इमेजेस, वॉट्सऐप विशेज, एसएमएस वॉलपेपर्स और कोट्स के जरिए शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- हर खुशी आपके द्वार आए,
जो आप मांगे उससे अधिक पाएं,
गोवर्धन पूजा में कृष्ण के गुण गाएं,
और ये त्योहार खुशी से मनाएं.
गोवर्धन पूजा की शुभकामनाएं
2- जनहित में एक ऊंगली पर,
कन्हैया ने पर्वत को उठाया,
उसी दिन की याद दिलाने,
गोवर्धन पूजा का दिन आया.
गोवर्धन पूजा की शुभकामनाएं
3- बंसी की धुन पर,
सबके दुख वो हरता है,
आज भी अपना कन्हैया,
कई चमत्कार करता है.
गोवर्धन पूजा की शुभकामनाएं
4- प्रेम से कृष्णा का नाम जपो,
दिल की हर इच्छा पूरी होगी,
कृष्ण आराधना में तल्लीन हो जाओ,
उनकी महिमा जीवन खुशहाल कर देगी.
गोवर्धन पूजा की शुभकामनाएं
5- कृष्ण की शरण में आकर,
भक्त नया जीवन पाते हैं,
इसलिए गोवर्धन पूजा का दिन,
हम सच्चे मन से मानते हैं.
गोवर्धन पूजा की शुभकामनाएं
गोवर्धन पूजा से जुड़ी पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र देव के अहंकार को तोड़ने के लिए एक लीला रचाई थी, उन्होंने करीब सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्का उंगली पर उठाकर ब्रजवासियों और गायों की रक्षा की थी. गोवर्धन पर्वत की छत्रछाया में आकर समस्त ब्रजवासी इंद्र के प्रकोप के कारण हुई भारी वर्षा और बाढ़ से बच पाए थे, तब से गोवर्धन पूजा की शुरुआत हुई और यह त्योहार मनाया जाने लगा. मान्यता है कि इस दिन श्रद्धाभाव से पूजा करने पर घर-परिवार में सुख-शांति आती है और धन-संपत्ति में बढ़ोत्तरी होती है.