Kalank Chaturthi 2019: गणेशोत्सव (Ganeshotsav) भारत के बड़े त्योहारों में से एक है जिसका इंतजार साल भर बेसब्री से किया जाता है. वैसे तो हर महीने गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2019) मनाई जाती है, लेकिन भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी को सबसे खास माना जाता है. कहा जाता है भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को ही भगवान गणेश (Lord Ganesh) का जन्म हुआ था, इसलिए हर साल इस तिथि को भगवान गणेश के जन्मोत्सव के तौर पर मनाया जाता है. मान्यता है कि गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के दिन भगवान गणेश अपने भक्तों के बीच आते हैं और अनंत चतुर्दशी को विदा होते हैं. गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक मनाए जाने वाले गणेशोत्सव के दौरान भगवान गणेश की खास पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन कई लोग व्रत करते हैं और अपने आराध्य को लड्डुओं व मोदक का भोग लगाते हैं.
देवताओं में प्रथम पूजनीय भगवान गणेश को ज्ञान, बुद्धि, भाग्य और सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. हालांकि जब भी गणेश चतुर्थी का जिक्र होता है उसके साथ यह भी कहा जाता है कि इस दिन आकाश में चांद का दीदार नहीं करना चाहिए. गणेश चतुर्थी को कलंक चतुर्थी (Kalank Chaturthi) के रूप में भी जाना जाता है और कहा जाता है कि इस दिन चांद (Moon) देखने से व्यक्ति पर कलंक लगता है. चलिए जानते हैं आखिर गणेश चतुर्थी को कलंक चतुर्थी क्यों कहा जाता है और इस दिन चंद्रमा देखना क्यों वर्जित माना जाता है. यह भी पढ़ें: गणेश चतुर्थी 2019 में कब है? जानिए गणेशोत्सव का महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
क्यों कहा जाता है इसे कलंक चतुर्थी ?
प्रचलित पौराणिक मान्यता के अनुसार, चंद्रमा को अपनी सुंदरता और रूप पर बहुत गर्व था, उन्होंने एक बार व्यंगात्मक टिप्पणी करके भगवान गणेश का मजाक उड़ाने की कोशिश की. उन्होंने गणेश जी के रूप पर टिप्पणी करते हुए कहा कि गणेश को बड़ा पेट और हाथी का सिर मिला है. इस बात को सुनने के बाद गणेश जी ने चंद्र देव को उनकी गलती का एहसास दिलाने के लिए उन्हें दंडित करने का फैसला किया. गणेश जी ने चंद्र देव को श्राप देते हुए कहा कि कोई भी चंद्रमा की पूजा नहीं करेगा और जो भी चंद्रमा को देखेगा उसे निर्दोष होने के बावजूद झूठे आरोप और कलंक का सामना करना पड़ेगा. यह भी पढ़ें: Ganeshotsav 2019: दरिद्रता से बचना चाहते हैं तो भूलकर भी न करें भगवान गणेश की पीठ के दर्शन, जानें उनके किस अंग में है किसका वास
गौरतलब है कि चंद्र देव के माफी मांगने के बाद गणेश जी ने अपने श्राप को चतुर्थी तिथि तक ही सीमित रखा. उन्होंने भाद्रपद महीने की चतुर्थी तिथि को चंद्रमा को श्राप दिया था, इसलिए गणेश चतुर्थी और हर महीने पड़नेवाली चतुर्थी तिथि को चंद्रमा को देखने की मनाही होती है. अगर कोई व्यक्ति चंद्रमा को देख लेता है तो उस पर झूठा कलंक लग जाता है. अगर गलती से ऐसा हो भी जाए तो भगवान गणेश से इसके लिए क्षमा याचना करनी चाहिए.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.
प्रचलित पौराणिक मान्यता के अनुसार, चंद्रमा को अपनी सुंदरता और रूप पर बहुत गर्व था, उन्होंने एक बार व्यंगात्मक टिप्पणी करके भगवान गणेश का मजाक उड़ाने की कोशिश की. उन्होंने गणेश जी के रूप पर टिप्पणी करते हुए कहा कि गणेश को बड़ा पेट और हाथी का सिर मिला है. इस बात को सुनने के बाद गणेश जी ने चंद्र देव को उनकी गलती का एहसास दिलाने के लिए उन्हें दंडित करने का फैसला किया. गणेश जी ने चंद्र देव को श्राप देते हुए कहा कि कोई भी चंद्रमा की पूजा नहीं करेगा और जो भी चंद्रमा को देखेगा उसे निर्दोष होने के बावजूद झूठे आरोप और कलंक का सामना करना पड़ेगा. यह भी पढ़ें: Ganeshotsav 2019: दरिद्रता से बचना चाहते हैं तो भूलकर भी न करें भगवान गणेश की पीठ के दर्शन, जानें उनके किस अंग में है किसका वास
गौरतलब है कि चंद्र देव के माफी मांगने के बाद गणेश जी ने अपने श्राप को चतुर्थी तिथि तक ही सीमित रखा. उन्होंने भाद्रपद महीने की चतुर्थी तिथि को चंद्रमा को श्राप दिया था, इसलिए गणेश चतुर्थी और हर महीने पड़नेवाली चतुर्थी तिथि को चंद्रमा को देखने की मनाही होती है. अगर कोई व्यक्ति चंद्रमा को देख लेता है तो उस पर झूठा कलंक लग जाता है. अगर गलती से ऐसा हो भी जाए तो भगवान गणेश से इसके लिए क्षमा याचना करनी चाहिए.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.