Eid Milad-Un-Nabi 2020: क्या है इतिहास और महत्व ईद-ए-मिलाद-उन-नबी का? जानें यह उत्सव किसी के लिए खुशी तो किसी के लिए गम क्यों लाता है
प्रतीकात्मक तस्वीर, (Photo Credits: Facebook)

Eid Milad-Un-Nabi 2020: 'ईद-ए-मिलाद' (Eid-e-Milad) को 'मिलाद-उन-नबी' (Milad-Un-Nabi) और 'मावलिद-ए-नबी' (Mawlid-e-Nabi) आदि के नाम से भी जाता है. इस दिवस को मुस्लिम समाज पैगम्बर मुहम्मद साहब (Prophet Mohammad) के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं. ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार, मुहम्मद साहब का जन्म सन 570 में सऊदी अरब में हुआ था. यह पर्व मुहम्मद साहब के जीवन, उनकी शिक्षाओं और उनके द्वारा दिये गये उपदेश की याद दिलाता है. मिलाद-उन-नबी इस्लामी पंचांग के तीसरे महीने रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन मनाया जाता है.

अपने जीवनकाल के दौरान, मुहम्मद साहब ने इस्लाम धर्म की स्थापना की, और एकमात्र साम्राज्य के रूप में सऊदी अरब का निर्माण किया, जो अल्लाह की इबादत के लिए समर्पित था. यूं तो पैगंबर मुहम्मद साहब का जन्मोत्सव एक खुशी का अवसर है, लेकिन इसके साथ ही इस दिन के साथ कुछ शोक वाले प्रसंग भी जुड़े हैं. रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन ही पैगंबर मुहम्मद साहब की मृत्यु भी हुई थी. यही वजह है कि मुस्लिम समाज का एक वर्ग जहां इसे खुशी के पर्व के रूप में सेलीब्रेट करता है, वहीं एक वर्ग शोक ग्रस्त रहता है. अलबत्ता दोनों ही वर्ग इस दिन मुहम्मद साहब के उपदेशों को सम्मान के साथ ग्रहण करता है.

उत्सव का इतिहास

ईद-ए-मिलाद का जश्न 11वीं सदी के दौरान ज्यादा लोकप्रिय हुआ था, आज की तुलना में प्राचीनकाल में इस पर्व को काफी अलग ढंग से अंजाम दिया जाता था. पहली बार यह पर्व मिस्र में आधिकारिक त्योहार के रूप में मनाया गया था. चूंकि यह उत्सव मिस्र में अग्रणी कबीले द्वारा शुरू किया गया था, इसलिए उन्होंने उत्सव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. लोगों ने दिन की शुरुआती नमाज अदा कर की. इसके बाद सत्ताधारी कबीले के लोगों ने भाषण दिए और पवित्र कुरान से छंद लिए गए. उत्सव की समाप्ति सार्वजनिक दावत के साथ होती थी. यह भी पढ़ें: Eid Milad-Un-Nabi 2020: ईद मिलाद उन-नबी कब है? जानें किस दिन मनाया जाएगा पैगंबर मोहम्मद साहब का जन्मदिन और क्या है इस दिवस का महत्व

खास बात यह कि उन दिनों केवल शिया समाज जो इस क्षेत्र में सत्तारूढ़ जनजाति के थे, वही त्योहार मना सकते थे, आम जनता के लिए यह उत्सव नहीं होता जाता था, लेकिन आगे चलकर 12वीं सदी में मिस्र के अलावा सीरिया, मोरक्को, तुर्की और स्पेन जैसे देशों ने ईद-ए-मिलाद मनाना शुरू किया था. इसके पश्चात जल्द ही कुछ सुन्नी मुसलमानों ने भी इस पर्व को मनाना शुरू कर दिया.

कैसे मनाते हैं?

ईद मिलाद उन-नबी के दिन पैंगबर मोहम्मद के प्रतीकात्मक पैरों के निशान पर प्रार्थना की जाती है. इस दिन लोग अपने दिन की शुरुआत सुबह की नमाज पढ़कर करते हैं. इसके बाद जुलूस निकाला जाता है, जो मस्जिद तक जाता है. इसीलिए इस दिन मस्जिदों में बहुत भीड़ होती है.

इस अवसर पर बच्चों को पैगंबर मुहम्मद की कहानियां सुनाई जाती हैं, जैसा कि पवित्र कुरान में उल्लेख किया गया है. लोग रात भर जागकर दुआएं और प्रार्थना करते हैं. इस अवसर पर लोग एक-दूसरे को मुबारकबाद देते हैं और घर में लजीज पकवान बनाए जाते हैं. बहुत सारे लोग जरूरतमंदों एवं गरीबों को खैरात बांटते हैं. रात में परिवार के लोग मिलकर खुशियां मनाते हैं. बहुत से लोग इस दिन को मक्का, मदीना और दरगाहों पर जाते हैं.