Mysore Dasara 2019: मैसूर का दशहरा (Mysore Dasara) दुनिया का सबसे भव्य दशहरा (Dussehra) माना जाता है. इसकी भव्यता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रदेश सरकार ने इसे स्टेट फेस्टिवल का दर्जा दे रखा है. मैसूर दशहरे की धूम देखने देश ही नहीं विदेशों से भी भारी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं. एक बार भी जिसने मैसूर का दशहरा देख लिया वह बार-बार यहां आना चाहेगा. इस पर्व की लोकप्रियता की कई वजहें हैं, जो इसे खास बनाती हैं. आइये जानें क्या और क्यों खास है मैसूर का दशहरा...
मैसूर की जंबो सवारी
किसी समय मैसूर रजवाड़ों का प्रदेश हुआ करता था. आजादी के बाद उनके पद तो चले गये, लेकिन उनकी शाही आन-बान-शान विजयदशमी के इस उत्सव में देखने को अवश्य मिलती है. खूबसूरत और चमचमाते स्वर्ण निर्मित इस हौदे पर विराजमान देवी चामुंडेश्वरी को 21 तोपों की सलामी दी जाती है. इसके बाद महल से सुसज्ज हाथियों एवं घोड़ों का जुलूस शहर की परिक्रमा के लिए निकलता है. जुलुस के साथ शाही परिवार की सवारी भी चलती हैं. चामुंडेश्वरी देवी के पीछे पारंपरिक परिधानों में भाला और तलवार लिए सैनिक परेड करते हुए आगे बढ़ते हैं. जुलूस के साथ चल रहे ग्यारह हाथियों के काफिले का भी भव्य श्रृंगार होता है. इनके पीछे युवा बैंड का दस्ता भी साथ चलता है.
प्रशिक्षित नर्तक सारे रास्ते अपनी प्रस्तुति पेश करते हैं. इनमें ड्रम बजाने वाले, बड़ी-बड़ी कठपुतलियां, एनसीसी कैडेट स्काउट, लोक नर्तक और संगीतज्ञ शामिल होते हैं. इस महोत्सव को जम्बू सवारी कहते हैं. यह जुलूस मैसूर महल से शुरू होकर बनीमन्टप पर खत्म होती है. वहां लोग बनी के पेड़ की पूजा करते हैं. माना जाता है कि पांडव अपने एक साल के गुप्तवास के दौरान अपने हथियार इस पेड़ के पीछे छुपाते थे और किसी भी तरह का युद्ध करने से पहले इस पेड़ की पूजा अवश्य करते थे. यह भी पढ़ें: Dussehra 2019: आज होगा रावण का दहन, विजयादशमी पर ये 10 उपाय करेंगे आपकी समस्याओं का समाधान
हौदे की खासियत
विशुद्ध स्वर्ण से बने इस भारी-भरकम हौदे का गौरवशाली इतिहास है. यह हौदा कब और किसने बनवाया, इसका कोई साक्ष्य नहीं है, लेकिन करीब साढ़े सात सौ किलो वजन वाले इस हौदे में लगभग अस्सी किलो सोना जडा है. मैसूर के कारीगरों ने अपने कुशल हाथों से बड़ी बारीकी से इसकी नक्काशी की है. हौदे के बाहरी हिस्से पर बनी फूल, पत्तियां, कली, कमल पुष्प कारीगरों की अद्भुत कारीगरी का बेजोड़ नमूना है. पुरातनकाल में महज छेनी हथौड़ी से किसी कलाकृति में इतनी बारीकी लाई जा सकती है? सहसा विश्वास नहीं होता. कहा जाता है कि पहले इस हौदे का इस्तेमाल मैसूर के राजा अपनी शाही सवारी के लिए किया करते थे. मगर बाद में इसे विजयादशमी पर माता की सवारी के लिए सुरक्षित रख दिया गया. अब इसे साल में एक बार सिर्फ माता की सवारी के लिए प्रयोग में लाया जाता है.
उत्सव में उत्साह लाती है युवाओं की संलिप्तता
अक्सर युवाओं पर आरोप लगता है कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं से उनका कोई नाता नहीं रहता. लेकिन मैसूर का दशहरा देखने के बाद ऐसी सोचने वालों की धारणा बदल जायेगी, क्योंकि मैसूर दशहरा का एक खूबसूरत पहलू युवा भी हैं. वह युवा ही हैं कि जिसकी संलिप्तता के बाद दशहरा का यह पर्व मोहत्सव में परिवर्तित हो जाता है. यह महोत्सव किसी कॉलेज समारोह जैसा होता है. इस विशेष कार्यक्रम के तहत मैसूर स्थित मानस गंगोत्री कैंपस में युवाओं को अपना टैलेंट दिखाने के लिए आमंत्रित किया जाता है. दशहरा की हर दस शाम युवाओं के निर्देशन में पारंपरिक शास्त्रीय नृत्य, लोकगीत, संगीत से लेकर पाश्चात्य संगीत तक ढेर सारे कार्यक्रम प्रस्तुत किये जाते हैं. इसमें देश भर के प्रमुख युवा रॉक स्टार्स अपनी प्रस्तुतियां पेश करते हैं. जिन्हें देखने के लिए लगभग हर उम्र के लोग हर रात भारी तादात में लोग यहां इकट्ठे होते हैं. यह भी पढ़ें: Dussehra 2019: दशहरे के खास मौके पर भव्य रामलीला और रावण दहन का कार्यक्रम देखने के लिए मुंबई और दिल्ली में इन जगहों का करें रुख
भव्य है दशहरा प्रदर्शनी
विजयादशमी के दस दिवसीय पर्व का एक और आकर्षण है दशहरा प्रदर्शनी. शहर के दोड्डा मैदान में आयोजित इस प्रदर्शनी में देश भर से लोग शामिल होते हैं. अपनी वस्तुओं का प्रदर्शन करते हैं. इस प्रदर्शनी में कपड़े, कॉस्मेटिक्स, किचन का सामान, प्लास्टिक का सामान और खाने-पीने की चीजें मिलती हैं. यहां एक स्पोर्ट्स क्षेत्र भी होता है, जिसमें तरह-तरह के खेल खेले जा सकते हैं. दशहरा प्रदर्शनी की शुरुआत औद्योगिक एवं कृर्षि प्रदर्शनी के रूप में हुई थी. क्रमशः नित नयी तकनीक आने के साथ इसकी भव्यता कई गुना बढ़ चुकी है. आप मैसूर का दशहरा देखने आये हैं तो मान लीजिये कि दशहरा प्रदर्शनी देखे बिना आपकी यात्रा पूरी हो सकती.
ग्रीन दशहरा
बदलते समय के साथ इस पर्व में कई नई चीजें जुड़ती रहती हैं. इसी में एक है ग्रीन दशहरा. इसके तहत हर वर्ष नयी थीम के साथ इस दिन को सेलीब्रेट किया जाता है. गत वर्ष वॉटर कन्जर्वेशन थीम के तहत दिखाया गया था कि किस तरह लोग पानी के संकट से जूझ रहे हैं. इस कार्यक्रम का रोमांच बनाये रखने के लिए प्रत्येक वर्ष देश भर के खास-खास हस्तियों को यहां आमंत्रित किया जाता है. सेलीब्रेटियों का स्वागत स्वयं प्रदेश के मुख्यमंत्री करते हैं. इस समारोह का आयोजन मैसूर की रायल फैमिली करती है.