Datta Jayanti 2023 Wishes In Marathi: हर साल मार्गशीर्ष यानी अगहन महीने की पूर्णिमा तिथि को भगवान दत्तात्रेय की जयंती (Dattatreya Jayanti) मनाई जाती है. इस साल दत्त जयंती (Datta Jayanti) का त्योहार 26 दिसंबर 2023 को मनाया जा रहा है. सभी देवी-देवताओं में दत्तात्रेय भगवान (Bhagwan Dattatreya) एक ऐसे देवता हैं, जिनमें त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अंश समाहित हैं. इन्हें गुरु और ईश्वर दोनों का स्वरूप माना जाता है, इसलिए इन्हें श्री गुरुदेवदत्त और परब्रह्ममूर्ति सद्गुरु भी कहा जाता है. प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार नारद ऋषि ने अत्रि मुनि की पत्नी अनुसुइया के पतिव्रत धर्म की तारीफ की. उस दौरान माता सती, देवी लक्ष्मी और मां सरस्वती भी वहां मौजूद थीं. इसके बाद त्रिदेवियों ने त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु और महेश से देवी अनुसुइया के पतिव्रत धर्म की परीक्षा लेने को कहा, फिर त्रिदेव साधु के वेश में देवी अनुसुइया की परीक्षा लेने के लिए आश्रम पहुंचे. माता अनुसुइया भिक्षुक बने देवताओं को देखकर भिक्षा लेकर आईं, लेकिन तीनों ने उसे लेने से इनकार कर दिया.
दत्त जयंती पर भगवान दत्तात्रेय की पूजा करने से त्रिदेवों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और भक्तों के जीवन में सुख-समृद्ध व खुशहाली आती है. इस पर्व को महाराष्ट्र में बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है और लोग मराठी में इस पर्व की बधाई भी देते हैं. ऐसे में आप भी मराठी के इन विशेज, कोट्स, मैसेजेस, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, वॉट्सऐप स्टिकर्स के जरिए दत्त जयंती की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- श्रीपाद श्रीवल्लभ अवधूतचिंतन
श्री गुरूदेव दत्त महाराज की जय!
दत्त जयंतीच्या हार्दिक शुभेच्छा!
2- चिंतन तुमचे सत्य चिरंतन
मिटवी सारी चिंता रे।
चिन्मय माझ्या चित्तातील
चैतन्य तूची दत्ता रे ॥
दत्त जयंतीच्या हार्दिक शुभेच्छा!
3- दिगंबरा दिगंबरा श्रीपाद
वल्लभ दिगंबरा!!
धावत येसी भक्तांसाठी,
ब्रम्हा, विष्णू, महेश्वरा!!
दत्त जयंतीच्या हार्दिक शुभेच्छा!
4- आता नको ही दिव्य दृष्टी
आता नको ही जड सृष्टी
फक्त असावी आपल्यावर
आपल्या सद्गुरूंची कृपादृष्टी
दत्त जयंतीच्या शुभेच्छा!
5- त्रिगुणात्मक त्रैमूर्ती दत्त हा जाणा
त्रिगुणी अवतार त्रैलोक्यराणा
नेति नेति शब्द न ये अनुमाना
सुरवर-मुनिजन योगी समाधी न ये ध्याना
दत्त जयंतीच्या शुभेच्छा!
कथा के अनुसार, साधु बने त्रिदेवों ने देवी अनुसुइया से कहा कि वो भोजन करना चाहते हैं, लेकिन उन्होंने माता से निर्वस्त्र होकर भोजन परोसने की बात कही, जिससे देवी अनुसुइया क्रोधित हो गईं, लेकिन फिर उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से तीनों की सच्चाई जान ली. देवी ने अपने तब बल का प्रयोग करते हुए तीनों पर कमंडल से जल छिड़का, जिसके बाद त्रिदेव छह माह के शिशु बन गए और तब माता ने उनका लालन पालन किया. उधर पति वियोग से परेशान होकर तीनों देवियां माता अनुसुइया के पास पहुंची और उनसे क्षमा याचना करते हुए त्रिदेवों को वापस लौटाने का आग्रह किया.
त्रिदेवियों के आग्रह करने पर माता अनुसुइया ने त्रिदेवों को उनका स्वरुप वापस लौटा दिया, जिसके बाद त्रिदेवों ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि ब्रह्मा, विष्णु और शिव के अंश वाला बालक आपकी कोख से जन्म लेगा. इसके बाद माता अनुसुइया ने भगवान दत्तात्रेय को जन्म दिया, जिनका नाम दत्त रखा गया. महर्षि अत्रि के पुत्र होने के कारण इन्हें आत्रेय भी कहा जाता है. इस प्रकार दत्त और आत्रेय मिलाकर उनका नाम दत्तात्रेय पड़ा. मान्यता है कि भगवान दत्तात्रेय की पूजा करने से त्रिदेव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.