
हैदराबाद: अमेरिका में H-1B वीजा से जुड़े सख्त कानूनों और नई बहसों के चलते भारतीयों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं. डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन द्वारा इमिग्रेशन पॉलिसी में सख्ती लाने की संभावना के बीच कई भारतीय जॉब ऑफर्स रद्द होने, वीजा में देरी और छंटनी की संभावनाओं का सामना कर रहे हैं. ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं जिसमें लोगों के जॉब ऑफर्स को रद्द कर दिए गए हैं, और ऑफर वापस ले लिए जा रहे हैं.
हैदराबाद की एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर को दिसंबर 2024 में एक अमेरिकी टेक कंपनी ने उन्हें नौकरी दी थी. वह सैन फ्रांसिस्को जाने की तैयारी कर रही थीं और इसके लिए अपनी वर्तमान नौकरी भी छोड़ दी. लेकिन कंपनी ने "वीजा से जुड़ी चिंताओं" का हवाला देते हुए अचानक उनका जॉब ऑफर रद्द कर दिया.
सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने बताया, “मुझे दिसंबर में नौकरी का ऑफर दिया गया था और लिखित पुष्टि के बाद मैंने अपनी मौजूदा नौकरी छोड़ दी, लेकिन अब मुझे ठगा हुआ महसूस हो रहा है. जब वीजा सुनिश्चित नहीं था तो नौकरी का प्रस्ताव क्यों दिया गया? अब कंपनी कह रही है कि वीजा विवाद सुलझने के बाद वे दोबारा ऑफर देंगे. लेकिन मैं कब तक इंतजार करूं?”
भारतीयों को लेकर क्या मायने रखता है H-1B वीजा
H-1B वीजा भारतीय पेशेवरों के लिए अमेरिका में काम करने का मुख्य जरिया है. H-1B वीजा प्रोग्राम अमेरिका में विदेशियों के लिए सबसे बड़ा अस्थायी वर्क वीजा है. यह एम्पलॉयर्स को "मेरिट और एबिलिटी" के आधार पर विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की इजाजत देता है.
यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेस (USCIS) के अनुसार, 2023 में जारी किए गए 3.8 लाख H-1B वीजा में से 72% भारतीयों को मिले. इनमें से ज्यादातर पेशेवर डेटा साइंस, एआई, मशीन लर्निंग, साइबर सिक्योरिटी जैसे STEM क्षेत्रों में काम करते हैं.
हालांकि, ट्रंप प्रशासन H-1B प्रोग्राम में सुधार के तहत न्यूनतम वेतन बढ़ाने और स्पॉन्सरशिप की लागत बढ़ाने की योजना बना रहा है. इसका उद्देश्य अमेरिकी नागरिकों को प्राथमिकता देना है. इस बदलाव के कारण भारतीय पेशेवर अनिश्चितता और तनाव महसूस कर रहे हैं.
छंटनी और वीजा का संकट
ट्रंप ने सख्त इमीग्रेशन पॉलिसी को लागू करने और अधिक अमेरिकियों को काम पर रखने का वादा किया है. यह बदलाव भारतीयों के लिए मुश्किलें लेकर आया है, जो कि अमेरिकी में सबसे बड़े एच-1बी वीजा होल्डर्स हैं.
कई कंपनियां वीजा प्रक्रिया को लेकर असमंजस में हैं. तेलंगाना की एक महिला, जो हाल ही में डेटा एनालिस्ट के रूप में नौकरी पाने में सफल हुईं, उन्होंने कहा, “कई महीनों की तलाश के बाद मुझे नौकरी मिली, लेकिन अब वीजा को लेकर अनिश्चितता मुझे परेशान कर रही है. मैं बेरोजगारी के आघात को फिर से सहन नहीं कर सकती.”
कैलिफोर्निया में काम कर रहे गुजरात के एक सॉफ्टवेयर डेवेलपर ने कहा कि उनकी कंपनी ने हाल ही में छंटनी की घोषणा की है. उन्होंने कहा, “अगर नौकरी चली गई तो हमें 60 दिनों के भीतर नई नौकरी ढूंढनी होगी, जो H-1B वीजा को स्पॉन्सर करे. यह बहुत डरावना है.”