प्रत्येक वर्षों की तरह इस वर्ष भी छत्रपति शिवाजी के पुत्र छत्रपति संभाजी राजे का राज्याभिषेक दिवस 16 जनवरी 2024 को मनाया जाएगा. संभाजी के बारे में जानेंगे यहां कई रोचक जानकारियां...
छत्रपति संभाजी राजे का जन्म 14 मई 1657 को पुरंदर दुर्ग (पुणे) में छत्रपति शिवाजी महाराज की दूसरी पत्नी सईबाई के यहां हुआ था. छत्रपति संभाजी 2 वर्ष के थे, तभी उनकी मां की मृत्यु उनका पालन-पोषण दादी जीजाबाई ने किया. जीजाबाई ने ही संभाजी में वीरता और पराक्रम के बीज बोये थे. साल 1680 में छत्रपति शिवाजी की मृत्यु के बाद, उनकी तीसरी पत्नी सोयराबाई के पुत्र राजाराम को सिंहासन पर बैठाया गया. उस समय संभाजी महाराज पन्हाला में कैद थे. संभाजी को राजाराम के राज्याभिषेक की खबर मिलते ही उन्होंने पन्हाला के किलेदार को मारकर किले पर कब्जा कर लिया. 18 जून 1680 को छत्रपति संभाजी ने रायगढ़ किले पर भी कब्जा कर लिया. राजाराम, उनकी पत्नी जानकी और मां सोयराबाई को गिरफ्तार कर लिया गया. यह भी पढ़ें: Indian Army Day 2024 Messages: हैप्पी इंडियन आर्मी डे! इन हिंदी Quotes, WhatsApp Wishes, GIF Greetings, Photo SMS को भेजकर दें बधाई
संभाजी राजे का राज्याभिषेक
छत्रपति संभाजी राजे को 20 जुलाई 1680 को ही पन्हाला में राजा के रूप में सिंहासन पर बैठाया गया था, लेकिन उनका आधिकारिक राज्याभिषेक रायगढ़ किले में 16 जनवरी 1681 को किया गया था. संभाजी राजे का राज्याभिषेक उनके पिता छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की तरह भव्य एवं उत्साह के साथ मनाया गया था. पूरे किले में तरह-तरह के आयोजन किये गये थे.
औरंगजेब ने संभाजी को समझने में बड़ी भूल की
शिवाजी महाराज की मृत्यु के बाद, औरंगजेब को लगा कि वह अब आसानी से रायगढ़ किले पर कब्जा कर लेगा. छत्रपति संभाजी के सत्तासीन होते ही औरंगजेब ने रायगढ़ पर आक्रमण कर दिया, मगर छत्रपति संभाजी से युद्ध में वह बुरी तरह से हार गया. इसके बाद भी मराठा साम्राज्य के उत्थान के लिए छत्रपति संभाजी महाराज ने मुगलों से कई लड़ाइयां लड़ी और विजयी रहे, अपने शासनकाल में छत्रपति संभाजी महाराज ने मुगलों के अलावा गोवा, मैसूर और पुर्तगालियों के बीच भी कई युद्ध लड़े.
छत्रपति संभाजी राजे का पराक्रम
संभाजी की बहादुरी की मिसाल इसीलिए शिवाजी से दी जाती है, क्योंकि मुगलों की सैकड़ों सेना के बीच घिरने के बावजूद उन्होंने कभी हथियार नहीं डाला, औरंगजेब अपने दम पर कभी गिरफ्तार नहीं कर सका. औरंगजेब ने कई बार संभाजी को धोखे से मारने या गिरफ्तार करने की कोशिश की, लेकिन संभाजी कभी उसकी पकड़ में नहीं आये. साल 1689 को मराठा फौज की मुगलों से भयंकर लड़ाई हुई. इस युद्ध में भी जीत मराठों की हुई थी, लेकिन संभाजी के बहनोई ने मुगलों से मिलकर संभाजी को धोखे से गिरफ्तार करवा दिया.
शारीरिक प्रताड़ना के बाद हुई दर्दनाक मृत्यु
औरंगजेब ने संभाजी के सामने इस्लाम धर्म कबूल करने का प्रस्ताव रखा, और कहा कि तुम्हारी जान बख्श दी जाएगी, मगर संभाजी के इंकार करने पर उन्हें शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया. 11 मार्च 1689 को संभाजी की हत्या कर उनके मृत देह को पुणे स्थित तुलापुर में फेंक दिया गया.