Chhatrapati Sambhaji Maharaj Balidan Din 2023: महान मराठा योद्धा शिवाजी महाराज (Shivaji Maharaj) के बड़े बेटे छत्रपति संभाजी राजे भोसले (Chhatrapati Sambhaji Raje Bhosale) का जन्म 14 मई, 1657 को हुआ था. वह छत्रपति शिवाजी और उनकी पहली पत्नी सईबाई के सबसे बड़े बेटे थे. जब वे केवल दो वर्ष के थे, तब उनकी माता का देहांत हो गया और उनका पालन-पोषण उनकी दादी जीजाबाई ने किया. हर साल, 11 मार्च को संभाजी महाराज बलिदान दिवस मनाया जाता है यह वह दिन है जब छत्रपति संभाजी राजे भोसले को मुगल राजा औरंगजेब के निर्देश पर 2 सप्ताह से अधिक समय तक भयानक यातनाएं झेलने के बाद मार दिया गया था. स्वराज की स्थापना के लिए उन्होंने अपने जीवन का बलिदान दे दिया. और स्थापना के लिए अपने जीवन का अंतिम बलिदान दिया. यह भी पढ़ें: Most Powerful Hindu Warriors: सम्राट अशोक से लेकर छत्रपति शिवाजी महाराज, भारत के महान शूरवीर एवं साहसी योद्धा जिन्होंने हर आक्रमणकारियों के छक्के छुड़ाये!
संभाजी को एक महान राजा और योद्धा माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि संभाजी ने 150 से अधिक लड़ाइयाँ लड़ीं और एक भी लड़ाई नहीं हारी. संभाजी एक महान योद्धा होने के साथ-साथ महान गुणों वाले व्यक्ति भी थे. मात्र नौ वर्ष की अल्पायु में ही संभाजी महाराज को आमेर के राजा जय सिंह के साथ राजनीतिक बंधक के रूप में रहने के लिए भेज दिया गया था. आज 11 मार्च को उनकी पुण्यतिथि मनाई जा रही है. ऐसे में आप इन मराठी मैसेजेस, वॉट्सऐप स्टिकर्स, वॉलपेपर्स और इमेजेस के जरिए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं.
1. वीर योद्धा धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज के बलिदान दिवस पर विनम्र श्रद्धांजलि
2. छत्रपति संभाजी महाराज के बलिदान दिवस पर
शत् - शत् नमन
3. छत्रपति संभाजी महाराज के बलिदान दिवस पर विनम्र अभिवादन!
4. छत्रपति संभाजी महाराज के बलिदान दिवस पर सादर नमन!
5. छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र महापराक्रमी छत्रपति संभाजी महाराज की पुण्यतिथि पर शत् - शत् नमन!
छत्रपति संभाजी महाराज बलिदान दिवस
संभाजी की मृत्यु बहुत ही क्रूर तरीके से की गई थी, लेकिन यह उनके साहस और चरित्र को भी दर्शाती है. औरंगजेब ने संभाजी और उनके सलाहकार कवि कलश को बंदी बना लिया. उन्हें अपमानित किया गया और जोकर के कपड़े पहनाए गए, और मृत्यु से पहले उन्हें प्रताड़ित किया गया. इस प्रक्रिया में दो हफ्ते से अधिक का समय लगा, जिसमें उनकी आंखें और जीभ निकालना, उनके नाखून निकालना और उनकी त्वचा को निकालना शामिल था.
संभाजी को अंततः 11 मार्च, 1689 को 31 वर्ष की आयु में कथित तौर पर वाघ नख (धातु के 'बाघ के पंजे') से आगे और पीछे से फाड़कर और पुणे के पास भीमा नदी के तट पर तुलापुर में एक कुल्हाड़ी से सिर काटकर मार डाला गया. हालांकि, संभाजी के खंडित अवशेषों को बाद में वडू के कुछ लोगों द्वारा एक साथ सिल दिया गया और अंत में उचित अनुष्ठानों और सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. कहा जाता है कि क्रूर यातनाओं के बावजूद संभाजी ने बादशाह औरंगजेब से एक बार भी रहम की गुहार नहीं लगाई और औरंगजेब ने जो कुछ भी पूछा उसका जवाब देने से इनकार कर दिया. छत्रपति संभाजी राजे भोसले के बलिदान को छत्रपति संभाजी महाराज बलिदान दिवस के रूप में याद किया जाता है.