Chhath Puja 2022 Kharna Messages in Hindi: हिंदू धर्म में दिवाली उत्सव के बाद मनाए जाने वाले चार दिवसीय छठ पूजा (Chhath Puja) पर्व को सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है. इस महापर्व को बिहार (Bihar), उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), झारखंड (Jharkhand) और नेपाल (Nepal) के तराई वाले क्षेत्रों में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तिथि तक छठ पूजा का महापर्व मनाया जाता है. इस महापर्व के दौरान सूर्य देव और छठ मैया की उपासना की जाती है. इस व्रत के नियम काफी कठिन और सख्त होते हैं, इसलिए इसे महाव्रत भी कहा जाता है. छठ पूजा का व्रत करने से घर-परिवार में सुख-शांति, धन-समृद्धि आती है, इसके साथ ही उत्तम आरोग्य का वरदान मिलता है.
आज यानी 29 अक्टूबर को छठ पूजा का दूसरा दिन है, जिसे खरना कहा जाता है. खरना के दिन निर्जल व्रत रखकर रात में गुड़ और चावल की खीर खाई जाती है. इसके साथ ही इस दिन एक-दूसरे को शुभकामना संदेश भी भेजे जाते हैं. ऐसे में इस खास अवसर पर आप भी इन हिंदी मैसेजेस, कोट्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, वॉट्सऐप विशेज, इमेजेस को अपनों संग शेयर कर हैप्पी खरना और छठ पूजा कह सकते हैं.
1- छठ पूजा आए बनके उजाला,
खुल जाए आपकी किस्मत का ताला,
हमेशा आप पर रहे मेहरबान ऊपर वाला,
यही दुआ करता है आपका ये चाहने वाला.
हैप्पी खरना और छठ पूजा
2- छठ पूजा का पावन पर्व,
है सूर्य देव की पूजा का पर्व,
करो मिलकर सूर्य देव को प्रणाम,
और बोलो सुख-शांति दें अपार.
हैप्पी खरना और छठ पूजा
3- मंदिर की घंटी, आरती की थाली,
नदी के किनारे, सूरज की लाली,
जिंदगी में आए खुशियों की बहार,
आपको मुबारक हो छठ का त्योहार.
हैप्पी खरना और छठ पूजा
4- पूरा हो आपका हर सपना,
हर तरफ बढ़ती रहे आपकी शान,
मिले सबसे आपको प्यार अपार,
शुभकामना हमारी करें स्वीकार.
हैप्पी खरना और छठ पूजा
5- छठ पूजा पर सूर्य देव की कृपा से,
जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आए,
आपके सारे सपने हकीकत बन जाएं,
दुख और तकलीफें आपसे कोसों दूर रहें.
हैप्पी खरना और छठ पूजा
गौरतलब है कि चार दिवसीय छठ पूजा उत्सव की शुरुआत नहाय-खाय के साथ होती है, इस महापर्व के दूसरे दिन लोहंडा-खरना होता है, जबकि तीसरा दिन बेहद महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दिन व्रती पवित्र नदी या तालाब में खड़े होकर शाम के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं, जिसे संध्या अर्घ्य कहा जाता है. उत्सव के चौथे यानी आखिरी दिन सूर्योदय के समय उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जिसे ऊषा अर्घ्य कहा जाता है.