चैत्र शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि को नवरात्रि अष्टमी तिथि मनाई जाती है. नवरात्रि में अष्टमी और नवमी को महत्त्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस दिन अष्टमी के दिन व्रत रखकर नवमी के दिन पूजा के बाद कन्याओं को भोज कराया जाता है. नवमी के बाद नवरात्रि का समापन हो जाता है. अष्टमी के दिन मां दुर्गा के आठवें अवतार मां कात्यायनी की पूजा की जाती है और नवरात्रि के नौवें दिन मां दुर्गा के आखिरी स्वरूप की पूजा होती है. इस बार नवमी 13 और 14 अप्रैल दोनों दिन है. 9 दिन का व्रत रखने वाले इस दिन कन्याओं का पूजन और उन्हें भोज करने के बाद व्रत का पारण करते हैं. नवमी की पूजा के साथ -साथ हवन भी किया जाता है. मान्यता है कि हवन के साथ ही सुबह देवी मां सभी के घरों और मंदिरों में प्रकट होती है. इसी विश्ववास के साथ भक्त व्रत के आखिरी दिन पूजा पाठ और दान करते हैं.
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शुभ मुहूर्त: 13 अप्रैल शनिवार की सुबह दिन में 08:16 बजे तक अष्टमी तिथि रहेगी. 13 अप्रैल शनिवार को महानवमी का व्रत होगा क्योंकि 13 अप्रैल को सुबह 08:16 बजे के बाद ही नवमी तिथि लग जाएगी. इस बार नवमी 13 अप्रैल और 14 अप्रैल दोनों दिन है. इसलिए कुछ लोग नवमी का पारण 13 अप्रैल को करेंगे तो कुछ लोग 14 अप्रैल को करेंगे.
कन्या पूजन शुभ मुहूर्त
प्रातः 06:41 से 08:13
11:56 am से 12:47 pm
02:28 pm से 03:19 pm
पूजा विधि: सुबह जल्दी उठकर नहा धोकर माता रानी के भोग लिए हलवा-पूरी, चने का शुद्ध भोजन तैयार करें. नवरात्र में बिना कन्या पूजन के व्रत अधूरा माना जाता है. नौ कन्याओं को आदर से अपने घर बुलाएं. शुद्ध पानी से उन सभी के पैर धोकर उन्हें एक साथ बैठाएं. उनका तिलक कर कलावा बांधें उसके बाद प्रेम से भोजन कराएं. भोजन के बाद उपहार में कोई वस्तु देकर उन्हें विदा करें.
नवमी को रामनवमी के रूप में भी मनाया जाता है क्योंकि चैत्र नवरात्रि के नवमी को ही भगवान राम का जन्म हुआ था. इसलिए इस दिन की महत्वता और ज्यादा बढ़ जाती है.