Buddha Purnima 2024 Wishes: शुभ बुद्ध पूर्णिमा! प्रियजनों संग शेयर करें ये मनमोहक WhatsApp Stickers, GIF Greetings, HD Images और Wallpapers
बुद्ध पूर्णिमा 2024 (Photo Credits: File Image)

Buddha Purnima 2024 Wishes in Hindi: इस साल बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) का पर्व 23 मई 2024, गुरुवार को मनाया जा रहा है. दुनिया भर में बौद्ध धर्म (Buddhism) के अनुयायी बुद्ध पूर्णिमा उत्सव को धूमधाम से मनाते हैं, जिसे बुद्ध जयंती (Buddha Jayanti) या वेसाक (Vesak) के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन बौद्ध धर्म के अनुयायी खास प्रार्थना करते हैं और गौतम बुद्ध की शिक्षाओं का जश्न मनाया जाता है. यह पर्व सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देता है और आधुनिक समय में उनकी शिक्षाओं की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि को गौतम बुद्ध (Gautam Buddha) का जन्म हुआ था, इसलिए इस तिथि पर उनका जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है. गौतम बुद्ध का जन्म ईसा पूर्व छठी शताब्दी में राजा शुद्धोधन के घर हुआ था, उनके जन्म के कुछ ही दिन बाद उनकी माता महामाया का निधन हो गया था. महामाया के निधन के बाद उनकी बहन गौतमी ने उनकी परवरिश की, इसलिए उनका नाम सिद्धार्थ गौतम पड़ा.

ऐसी मान्यता है कि गौतम बुद्ध से ही बौद्ध धर्म का उदय हुआ, जो दुनिया के कई देशों में फैल गया. कहा जाता है कि गौतम बुद्ध भगवान विष्णु के अवतार हैं, इसलिए बौद्ध धर्म के साथ-साथ हिंदू धर्म के लिए भी यह पर्व काफी महत्व रखता है. ऐसे में इस खास अवसर पर इन मनमोहक विशेज, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, एचडी इमेजेस और वॉलपेपर्स को भेजकर प्रियजनों से शुभ बुद्ध पूर्णिमा कह सकते हैं.

1- ​बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनाएं

बुद्ध पूर्णिमा 2024 (Photo Credits: File Image)

2- बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक बधाई

बुद्ध पूर्णिमा 2024 (Photo Credits: File Image)

3- शुभ बुद्ध पूर्णिमा

बुद्ध पूर्णिमा 2024 (Photo Credits: File Image)

4- बुद्ध पूर्णिमा 2024

बुद्ध पूर्णिमा 2024 (Photo Credits: File Image)

5- हैप्पी बुद्ध पूर्णिमा
बुद्ध पूर्णिमा 2024 (Photo Credits: File Image)

प्रचलित मान्यताओं के अनुसार सिद्धार्थ गौतम के जन्म के समय ही राज ज्योतिष ने भविष्यवाणी की थी. उन्होंने बताया था कि यह बालक बड़ा होकर संन्यास लेगा और बड़ा संत-महात्मा बनेगा. कहा जाता है कि एक दिन सिद्धार्थ अपने महल के बाहर घूम रहे थे, तब उनकी नजर एक रोगी, वृद्ध और मृत व्यक्ति पर पड़ी. इन दृश्यों को देखने के बाद सिद्धार्थ के मन में वैराग्य की भावना जाग गई और उन्होंने संन्यास लेने का मन बना लिया. इसके बाद वो अपनी पत्नी व बच्चे को छोड़कर चले गए और कई सालों तक वन में तपस्या की. कहा जाता है कि कठिन तपस्या के बाद 35 साल की उम्र में उन्हें बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई और इस तरह से वो सिद्धार्थ गौतम से गौतम बुद्ध बन गए.