Basant Panchami 2020: क्या पुस्तकों को सरस्वती पूजा के शुभ अवसर पर छूना चाहिए? जानिए गुडलक के लिए इस दिन क्या करें और क्या नहीं
सरस्वती पूजा 2020 (Photo Credits: WikiCommons and Pixabay)

Basant Panchami 2020: बसंत पंचमी (Basant Panchami) का पर्व सभी ऋतुओं के राजा कहे जाने वाले बसंत ऋतु (Spring Season) के आगमन का प्रतीक है. शुष्क ठंड के बाद बसंत पंचमी का पर्व प्रकृति को बसंत ऋतु के सुहावने मौसम का उपहार देता है. पलाश के लाल फूलों की लालिमा और हरे-भरे आम के पेड़ों की हरियाली से प्रकृति बेहद सुंदर नजर आती है. यह मौसम खुशियां और सकारात्मकता अपने साथ लेकर आता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है, जिसे सरस्वती पूजा (Saraswati Puja) के नाम से भी जाना जाता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह पर्व हर साल जनवरी या फरवरी महीने में पड़ता है. इस साल बसंत पंचमी यानी सरस्वती पूजा का त्योहार 29 जनवरी 2020 (बुधवार) को मनाया जा रहा है.

सरस्वती पूजा के पावन अवसर पर ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती की प्रतिमाओं की पूजा स्कूलों, शिक्षण संस्थानों के साथ-साथ घरों में की जाती है. अगर आप अपने घर पर मां सरस्वती की पूजा कर रहे हैं तो इस दिन सुबह तड़के उठकर स्नान करें. पूजा के दौरान देवी सरस्वती को पीले फूल अर्पित करें. इस दिन भक्त आमतौर पर देवी सरस्वती की पूजा करने के साथ-साथ वाद्ययंत्रों और किताबों की भी पूजा करते हैं. इस दिन लोग पुस्तकों की पूजा तो करते हैं, लेकिन क्या इस दिन किताबों को छूना अपशगुन माना जाता है? यह भी पढ़ें: Saraswati Puja 2020: बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर इन भक्तिमय गीतों और सरस्वती वंदना मंत्रों से करें विद्या की देवी की आराधना

दरअसल, सरस्वती पूजा के दिन शिक्षा आरंभ करना बेहद शुभ माना जाता है, लेकिन कई लोग इस दिन पुस्तकों को छूना अपशगुन मानते हैं. हालांकि इस शुभ अवसर पर किताबों को न छूने से जुड़े किसी भी नियम का जिक्र वेदों में नहीं मिलता है, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि इस दिन पुस्तकों को नहीं छूना चाहिए. चलिए जानते हैं गुडलक के लिए सरस्वती पूजा के दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं.

क्या करें और क्या नहीं?

  • बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की विधि-विधान से पूजा की जानी चाहिए.
  • सरस्वती पूजा के दिन वाद्ययंत्रों, यंत्रों और पुस्तकों की पूजा की जाती है.
  • इस दिन छोटे बच्चों को पहली बार वर्णमाला सिखाई जाती है और उन्हें किताबें भेंट की जाती है.
  • सरस्वती पूजा के दिन बसंत ऋतु का आगमन होता है, इसलिए इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है.
  • इस दिन पीले चावल या पीले रंग के भोजन का सेवन किया जाता है. इस अवसर पर बंगाल में पीली खिचड़ी खाई जाती है.
  • बसंत पंचमी पर किसी से अपशब्द न कहें और अपमानजनक भाषण व झगड़े से दूर रहें.
  • इस दिन पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और मांस, मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए.
  • बसंत पंचमी के दिन बिना स्नान किए भोजन नहीं करना चाहिए और इस दिन पेड़ नहीं काटने चाहिए. यह भी पढ़ें: Basant Panchami/Saraswati Puja 2020: सरस्वती पूजा कब है? जानें बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त, महत्व और विद्या की देवी को प्रसन्न करने के लिए खास पूजा विधि

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन ही देवी सरस्वती का प्राकट्य हुआ था, इसलिए इस दिन देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है. बसंत पंचमी से मौसम में बदलाव होने लगता है और बसंत ऋतु के आगमन के साथ ही खेतों में पीली सरसों लहलहाने लगती है और चारों तरफ फैली हरियाली से पूरे वातावरण में सकारात्मकता महसूस होने लगती है.