बछ बारस उत्तर भारत में भाद्रपद मास में मनाया जाने वाला एक त्योहार है. यह 12 वें दिन भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष के दौरान मनाया जाता है. इस साल यह त्योहार 11 नवंबर को मनाया जा रहा है. गोवत्स द्वादशी की पूजा गोधुली बेला में की जाती है. गोवत्स द्वादशी का पालन करने वाले लोग दिन में गेहूं और दूध से बने उत्पादों को खाने से बचते हैं. इस दिन माएं अपने बच्चों के लिए व्रत रखती हैं. इस दौरान गाय और बछड़े की पूजा की जाती है. गाय को घी, चावल, दूध और बाजरे से बनी अन्य चीजें दी जाती हैं. व्रत करने वाली माता दिन में केवल बाजरा से बना भोजन खाती हैं. कुछ क्षेत्रों में इस दिन गरीबों को दान दिया जाता है. भारत के कुछ हिस्सों में इसे बछ बारस का त्योहार भी कहा जाता है. गुजरात में इसे वाग बरस भी कहा जाता है. गोवत्स द्वादशी को नंदिनी व्रत के रूप में भी मनाया जाता है. नंदिनी गाय को हिंदू धर्म में दिव्य (दिव्य) माना जाता है. यह भी पढ़ें: Govatsa Dwadashi 2020: कब है गोवत्स द्वाद्वशी? क्या है व्रत एवं पूजा का विधान? जानें हिंदू धर्म में गाय को इतना पूज्यनीय क्यों मानते हैं?
गोवत्स द्वादशी पूजा महिलाओं द्वारा पुत्र की कामना के लिए की जाती है. इस त्यौहार पर गाय-बछड़े, बाघ और बाघिन की मूर्ति गीली मिट्टी से बनाया जाता है और पटले पर रखा जाता है, और उनकी विधिवत पूजा की जाती है. इस शुभ अवसर पर लोग अपने प्रियजनों और दोस्तों को मैसेजेस और ग्रीटिंग्स भेजकर बछ बारस की शुभकामनाएं देते हैं. जिन लोगों को बच्चे नहीं हैं उन्हें पुत्र प्राप्ति के कामना करते हैं. अगर आप भी आपने प्रियाजों को बछ बारस की शुभकामनाएं देना चाहते हैं तो नीचे दिए गए मैसेजेस भेजकर दे सकते हैं.
1- गायों की सेवा करो, रोज नवाओ शीश,
खुश होकर देंगी तुम्हें, वे लाखों आशीष.
बछ बारस की शुभकामनाएं
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2- बछड़े उनके जोतते, खेत और खलियान,
जिनसे पैदा हो रहे, रोटी-सब्जी और धान.
बछ बारस की शुभकामनाएं
3- गोबर करता है यहां, ईधन का भी काम,
गौ सेवा जिसने की, उसके हो गए चारो धाम.
बछ बारस की शुभकामनाएं
4- घास-फूस खाकर करें, दूध, दही की रेज,
इसी वजह से सज रही, मिष्ठानों की सेज.
बछ बारस की शुभकामनाएं
5- गौ माता करतीं सदा, भव सागर से पार,
इनकी तुम सेवा करो, जीवन देंगी तार.
बछ बारस की शुभकामनाएं
भाव पुराण के अनुसार, गौमाता की पृष्ठभूमि में ब्रह्मा का निवास है, गले में विष्णु, मुख में रुद्र, मध्य भाग में सभी देवता और रोमछिद्र में महर्षिगण, पूंछ में अनंत नाग, सभी खुरों में पर्वत हैं, गौमूत्र में गंगा नदी, गौमी में लक्ष्मी और आँखों में सूर्य-चन्द्र हैं.