
Ashadhi Ekadashi 2025 Messages in Hindi: आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आषाढ़ी एकादशी (Ashadhi Ekadashi) का पर्व महाराष्ट्र में हर्षोल्लास से मनाया जाता है. इस एकादशी के दिन महाराष्ट्र में भगवान विट्ठल और रुक्मिणी की विधि-विधान से पूजा की जाती है. इतना ही नहीं पंढरपुर में इसकी अनूठी झलक भी देखने को मिलती है. दरअसल, आषाढ़ी एकादशी पर देहू और आलंदी से महाराष्ट्र के पंढरपुर के प्रसिद्ध विठोबा मंदिर तक वार्षिक पंढरपुर यात्रा हजारों लोगों और तीर्थयात्रियों को आकर्षित करती है, जिसे वारकरी कहा जाता है. पंढरपुर यात्रा विठोबा मंदिर की तीर्थयात्रा है, जिसे विट्ठल रुक्मिणी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है. इस साल आषाढ़ी एकादशी 6 जुलाई 2025 को मनाई जा रही है, जिसे देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi), हरिशयनी एकादशी (Harishayani Ekadashi), पद्मनाभा एकादशी (Padmnabha Ekadashi) जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है.
आषाढ़ी एकादशी से भगवान विष्णु क्षीरसागर में चार महीने की योगनिद्रा में चले जाते हैं और इसी दिन से चतुर्मास की शुरुआत होती है. आषाढ़ी एकादशी महाराष्ट्र में प्रसिद्ध पंढरपुर वारी यात्रा के अंत का भी प्रतीक है. ऐसे में इस बेहद शुभ अवसर पर आप इन भक्तिमय हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स, कोट्स को भेजकर अपनों को आषाढ़ी एकादशी की प्यार भरी शुभकामनाएं दे सकते हैं.





आषाढ़ी एकादशी का महत्व इसलिए भी ज्यादा बढ़ जाता है, क्योंकि इसी दिन से चतुर्मास की शुरुआत होती है और चार महीने के लिए सभी मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है. बता दें कि आषाढ़ी एकादशी यानी देवशयनी एकादशी व्रत के नियमों का पालन दशमी तिथि से शुरु हो जाता है. इस तिथि पर सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि से निवृत्त होने के बाद श्रीहरि की विधि-विधान से पूजा की जाती है. भगवान विष्णु के मंत्रों का जप, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ और रात्रि जागरण किया जाता है. अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को ब्राह्मणों को भोजन और दक्षिणा देने के बाद इस व्रत का पारण किया जाता है.