Ashadhi Ekadashi 2024 HD Images: हैप्पी आषाढ़ी एकादशी! प्रियजनों संग शेयर करें ये शानदार WhatsApp Stickers, GIF Greetings और Wallpapers
आषाढ़ी एकादशी 2024 (Photo Credits: File Image)

Ashadhi Ekadashi 2024 HD Images: इस साल आषाढ़ी एकादशी 17 जुलाई 2024 को मनाई जा रही है, जिसे हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है. आषाढ़ी एकादशी (Ashadhi Ekadashi) को देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi), हरिशयनी एकादशी (Harishayani Ekadashi), पद्मनाभा एकादशी (Padmnabha Ekadashi) जैसे कई नामों से भी जाना जाता है. इस दिन से चार महीने की अवधि को लेकर श्रीहरि क्षीरसागर में शयन के लिए चले जाते हैं और इसी के साथ चतुर्मास की शुरुआत हो जाती है, साथ ही चार महीने के लिए सभी मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है. आषाढ़ी एकादशी पर देहू और आलंदी से महाराष्ट्र के पंढरपुर के प्रसिद्ध विठोबा मंदिर तक वार्षिक पंढरपुर यात्रा हजारों लोगों और तीर्थयात्रियों को आकर्षित करती है, जिसे वारकरी कहा जाता है.

पंढरपुर यात्रा विठोबा मंदिर की तीर्थयात्रा है, जिसे विट्ठल रुक्मिणी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है. जो 700 सालों से भी अधिक समय से होती आ रही है. इस दिन लोग एक-दूसरे के साथ शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान भी करते हैं. इस अवसर पर आप इन शानदार एचडी इमेजेस, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स और वॉलपेपर्स के जरिए हैप्पी आषाढ़ी एकादशी कह सकते हैं.

1- आषाढ़ी एकादशी की शुभकामनाएं

आषाढ़ी एकादशी 2024 (Photo Credits: File Image)

2- शुभ आषाढ़ी एकादशी

आषाढ़ी एकादशी 2024 (Photo Credits: File Image)

3- हैप्पी आषाढ़ी एकादशी

आषाढ़ी एकादशी 2024 (Photo Credits: File Image)

4- आषाढ़ी एकादशी की हार्दिक बधाई

आषाढ़ी एकादशी 2024 (Photo Credits: File Image)

5- आषाढ़ी एकादशी 2024

आषाढ़ी एकादशी 2024 (Photo Credits: File Image)

मुख्य पंढरपुर यात्रा पुणे जिले के देहू में संत तुकाराम मंदिर से शुरु होती है और वारकरी यानी तीर्थयात्री तुकाराम महाराज पालखी जुलूस का अनुसरण करते हैं. आषाढ़ी एकादशी के दिन भक्त संत ज्ञानेश्वर और तुकाराम के भजन सुनते हैं. इस एकादशी के दिन महाराष्ट्र में भगवान विट्ठल और रुक्मिणी की विधि-विधान से पूजा की जाती है. आषाढ़ी एकादशी के पर्व को महाराष्ट्र में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है और पंढरपुर में इसकी अनूठी झलक देखने को मिलती है.