551st Parkash Purab and Guru Nanak Jayanti 2020 Wishes in Hindi: आज (30 नवंबर 2020) सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी की 551वीं जयंती मनाई जा रही है. गुरु नानक जयंती (Guru Nanak Jayanti) को गुरु पुरब (Gurupurab) या प्रकाश पर्व (Prakash Parv) के तौर पर भी जाना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही उनका जन्म हुआ था, जबकि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को पंजाब के तलवंडी में हुआ था, जो वर्तमान में पाकिस्तान में मौजूद है और उसे ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है. इस दिन विशाल नगर कीर्तन निकाला जाता है, कीर्तन विभिन्न जगहों से होते हुए गुरुद्वारे पहुंचता है. इसके साथ ही इस दिन प्रभात फेरी निकाली जाती है और गुरु नानक देव जी के अनमोल वचनों को बताया जाता है.
गुरु नानक देव जी की 551वीं जयंती पर अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ रहा है. इस शुभ अवसर पर लोग एक-दूसरे को गुरपुरब यानी प्रकाश पर्व की लख-लख बधाइयां भी देते हैं. आप भी गुरु नानक जयंती के पावन अवसर पर अपने दोस्तों-रिश्तेदारों और करीबियों को इन शानदार वॉट्सऐप स्टिकर्स और फेसबुक ग्रीटिंग्स के जरिए गुरपुरब की हार्दिक बधाई दे सकते हैं.
1- प्रभु के लिए खुशियों के गीत गाओ,
प्रभु के नाम की सेवा करो,
और उसके सेवकों के सेवक बन जाओ.
गुरपुरब की हार्दिक बधाई
2- गुरु नानक देव जी के सद्कर्म,
हमे सदा राह दिखाएंगे,
वाहे गुरु के ज्ञान से,
सबके बिगड़े हुए काम बन जाएंगे.
गुरपुरब की हार्दिक बधाई
3- गुरु नानक देव जी आपको अपने,
सभी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करें,
आपको सुख-शांति का आशीर्वाद दें,
और अनंत आनंद व खुशी प्रदान करें.
गुरपुरब की हार्दिक बधाई
4- सतगुरु सब दे काज संवारे,
आप सबको प्रथम सिख गुरु,
नानक देव जी के जन्मदिवस की,
आप सभी को लख-लख बधाइयां.
गुरपुरब की हार्दिक बधाई
5- राज करेगा खालसा, बाके रहे ना कोए,
वाहेगुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह.
गुरपुरब की हार्दिक बधाई
सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी एक महान दार्शनिक, समाज सुधारक, कवि, गृहस्थ, योगी और देशभक्त थे, आज पूरे देश में 551वां गुरपुरब मनाया जा रहा है.गुरु पर्व पर देश के तमाम गुरुद्वारों में भजन-कीर्तन, अरदास और लंगर का आयोजन किया जाता है. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, कहा जाता है कि बचपन से ही नानक देव जी का मन सांसारिक कामों में नहीं लगता था और वे ईश्वर की भक्ति व सत्संग में ज्यादा रहते थे.