पुणे: देश भर में गणेश चतुर्थी की धूम है. साल भर बाद वापिस आए बाप्पा की भक्ति और आदर में सभी भक्त पूरे तन-मन से लगे हुए हैं. भगवान गणपति का प्रिय भोग मोदक है. ऐसा माना जाता है जब तक उन्हें मोदक का प्रसाद नहीं चढ़ाया जाता उनकी पूजा अधूरी है. इसी कड़ी में गणेश चतुर्थी के मौके पर महाराष्ट्र के पुणे के श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई मंदिर में गणपति बप्पा को 126 किलो का मोदक भोग स्वरुप चढ़ाया गया है. इस मोदक को विशेष रूप से ड्राई फ्रूट्स और चांदी के वर्क से तैयार किया गया है.
पुणे के श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई मंदिर के दर्शन किए बिना पुणे में गणेशोत्सव पूरा नहीं माना जाता है. इस दौरान इस मंदिर में हर साल लाखों की तादाद में भक्तगण अपनी हाजिरी लगाते हैं और बप्पा से अपनी मनोकामना मांगते हैं. यह भी पढ़ें- गणेशोत्सव 2018: हैदराबाद में अपने लाडले बप्पा को भक्तों ने चढ़ाया 600 किलो का लड्डू
#Maharashtra: A 126 kg modak to be offered to Lord Ganesha at Dagadusheth Halwai Ganapati Temple in Pune for #GaneshChaturthi celebrations. The modak has been made using dry fruits & silver leaf (vark). pic.twitter.com/CEQLzUfZEz
— ANI (@ANI) September 14, 2018
क्या है दगडूशेठ हलवाई गणपति का इतिहास?
कहा जाता है कि कर्नाटक में दगडूशेठ गड़वे नाम के एक व्यक्ति हुआ करते थे जो पेशे से हलवाई थे. वो कर्नाटक से पुणे आकर बस गए थे. उनका एक बेटा था जिसकी प्लेग की बिमारी के चलते मौत हो गई थी. बेटे के गुजर जाने से दगडूशेठ और उनकी पत्नी को गहरा सदमा लगा था. तब उनके आध्यात्मिक गुरु ने उन्हें मानसिक तनाव से बाहर निकालने के लिए एक गणेश मंदिर का निर्माण कराने का आदेश दिया. यह भी पढ़ें- गणेशोत्सव 2018: जानिए गणपति बप्पा को क्यों चढ़ाया जाता है मोदक, क्या है इसका महत्व?
उस समय स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य तिलक जो कि दगडूशेठ के अच्छे दोस्त भी थे उन्होंने गणेश भगवान्उ के इस मंदिर का निर्माण करवाने में मदद की. 1893 में मंदिर का कार्य पूर्ण कर लिया गया. इसी के साथ लोकमान्य तिलक ने गणेशोत्सव का त्योहार मनाने की घोषणा की. इसके बाद से ही गणेशजी के इस त्योहार को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाने लगा. इस साल दगडूशेठ हलवाई गणेश मंदिर के 125 वर्ष पूरे हो जाएंगे. यह भी पढ़ें- गणेशोत्सव 2018: लालबाग के राजा का दर्शन और आरती यहां देखें LIVE