Customs and Traditions of Shab e-Meraj 2023: कब और क्यों मनाते हैं शब-ए-मेराज? जानें इसका महत्व, प्रथा और परंपराएं?
शब-ए-मेराज मुबारक 2023 (Photo Credits: File Image)

‘शब-ए-मेराज’ मुसलमानों का महत्वपूर्ण एवं पवित्र त्यौहार है, जो रजब माह के 27 वें दिन मनाया जाता है, और इस्लामी कैलेंडर का सातवां महीना होता है. मान्यता है कि इस दिन अल्लाह मोहम्मद साहब को मक्का से यरुशलम और इसके बाद स्वर्ग ले गये थे. यह घटना पैगंबर मुहम्मद साहब के जीवन का प्रमुख हिस्सा माना जाता है. मान्यता है कि इसी दिन मुहम्मद साहब को इसरा और मेराज की यात्रा के दौरान अल्लाह के विभिन्न निशानियों का अनुभव हुआ था. इस यात्रा के पहले हिस्से को ‘इसरा’ और दूसरे को ‘मेराज’ नाम से संबोधित किया जाता है. दोनो घटनाओं को मेराज की संज्ञा दी जाती है. इसलिए इसे ‘इसरा और मिराज’ के नाम से भी पुकारा जाता है. यह पर्व मध्य-पूर्व, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित दुनिया भर के मुसलमानों द्वारा मनाया जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक ‘शब-ए-मेराज’ 19 फरवरी 2023 को मनाया जायेगा.

शब-ए-मेराज का महत्व!

'शब-ए-मेराज' की इस पुण्य रात को सुन्नी मुस्लिम ‘जश्न की रात’ के रूप में मनाते है. मुस्लिमों के अनुसार इसकी फजीलत को जितना बयां किया जाए कम ही होगा. रात में नफिल नमाज व दिन में रोजा रखना 26 और 27 रजब को बेहद मुबारक माना जाता है. कहा जाता है कि मध्य रात्रि में दो या चार रकात की नियत कर 12 रकात नमाज जरूर पढ़नी चाहिए. यद्यपि यह पूरी रात इबादत की रात मानी जाती है. 26 व 27 रजब का रोजा रखना अफजल है. इस रात हर मुसलमान अपने घरों में फातेहा दिलाते हैं. यह भी पढ़ें : Mahashivratri 2023: यूपी-महाराष्ट्र समेत देशभर में महाशिवरात्रि की धूम, हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ भगवान शिव के दर्शन कर रहे भक्‍त (Watch Video and View Pics)

क्या और कैसे मनाते हैं शब-ए-मेराज?

शब-ए-मेराज को शबे-मेराज भी कहते हैं, इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार रजब की सत्ताईसवीं तारीख की रात को मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण इस्लामिक त्यौहार है. इस्लाम धर्म में इस त्यौहार का बहुत महत्व माना जाता है, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि कि उसी रात मोहम्मद साहब ने मक्का से बैत-उल-मुक़द्दस तक की यात्रा की. इसके बाद उन्होंने सातों आसमानों की सैर करते हुए अल्लाह का दर्शन हासिल किया था. इस दिन मक्का मदीना समेत दुनिया भर की मस्जिदों और इबादतगाहों में रात के वक्त दीयों एवं अगरबत्तियों से सजाये जाते हैं. मुस्लिम समाज यहां आकर सामूहिक नमाज पढ़ते हैं. नमाज और प्रार्थना के बाद सार्वजनिक बैठकों का आयोजन भी किया जाता है, जहां वक्ता पैगंबर साहब के आध्यात्मिक जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हैं. इन सारी प्रक्रियाओं के पश्चात खैरात एवं जकात बांटे जाते हैं, इसके बाद भंडारे का आयोजन होता है.