कोरोना वायरस (Coronavirus) आये दिन नये-नये रूप बदल रहा है और लगातार खतरनाक रुख अख्तियार करता जा रहा है. इसकी दूसरी लहर शिशु से लेकर वृद्ध तक को अपनी चपेट में ले रही है. संक्रमितों की तेजी से बढ़ती संख्या ने स्वास्थ्य विभाग की नींद उड़ा दी है. गत वर्ष तक सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार, गले में खराश तथा स्वादविहीन जुबान कोविड के मुख्य लक्षण माने जाते थे, लेकिन बदली हुई परिस्थितियों में कोविड विशेषज्ञ इन नये लक्षणों से सतर्कता बरतने की चेतावनी दे रहे हैं. गुड़गांव स्थिति एक प्राइवेट अस्पताल के कोविड चिकित्सक सुमित गुप्ता इन नए लक्षणों के बारे में क्या सुझाव दे रहे हैं आइए जानते हैं. यह भी पढ़ें: ब्लैक और व्हाईट के बाद यलो फंगस इंफेक्शन का मामला भारत में दर्ज, जानें क्यों है यह ज्यादा घातक
एक शोध के अनुसार मधुमेह के मरीजों में कोविड संक्रमण के साथ-साथ मॉर्टेलिटी रेट ज्यादा हो जाता है. इसलिए इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि कोविड की दूसरी लहर में सबसे ज्यादा मधुमेह के मरीज ही चपेट में आ रहे हैं.
ब्लैक फंगस
इन दिनों कोविड की दूसरी लहर का सबसे खतरनाक लक्षण ब्लैक फंगस बताया जा रहा है. यह निरंतर खतरनाक स्वरूप लेता जा रहा है. डॉ सुमित के अनुसार रक्त में अनियंत्रित होती शर्करा की मात्रा एवं स्टेरॉयड से रोग प्रतिरोधक शक्ति के कमजोर होने के कारण कुछ मरीजों में ब्लैक फंगस का संक्रमण तीव्र गति से फैलता है. अगर मुंह के भीतर अथवा चेहरे के किसी हिस्से में काले रंग का छोटा-बड़ा धब्बा दिखाई देता है तो मरीज को तुरंत किसी कोविड विशेषज्ञ से सलाह लेकर तत्काल इलाज शुरु करवाना चाहिए.
त्वचा पर एलर्जी
पिछले साल कोविड के लक्षणों में ऐसी कोई समस्या देखने को नहीं मिली. कोविड के सेकेंड वेव में कुछ मरीजों में यह नया लक्षण देखा जा रहा है. डॉ सुमित बताते हैं, -कोविड ग्रस्त मधुमेह के रोगियों की उंगलियों में ददोरे और उसमें खुजली की शिकायत तथा कभी-कभी त्वचा पर लाल धब्बे भी दिखाई देते हैं. वस्तुतः मधुमेह के रोगियों में रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ने से त्वचा रूखी हो जाती है, शरीर के किसी अंग में सूजन, फफोले, चकत्ते एवं इनमें खुजली होती है. ये कोविड के नये लक्षणों में एक हो सकते हैं. इसलिए मधुमेह के रोगियों को अपनी त्वचा पर होने वाले परिवर्तन पर नजर रखना चाहिए.
इंसुलिन
जब शरीर में इंसुलिन का उत्पादन कम होने लगता है तो इसे मधुमेह का संकेत माना जाता है. डॉ सुमित के अनुसार - मधुमेह के रोगियों में रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ता है तो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने लगती है. ऐसी स्थिति में शरीर में इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. यही वह स्थिति होती है, जब कोविड वायरस मनुष्य को संक्रमित करता है. मरीजों में वैस्कुलर समस्याएं मसलन कार्डियो वैस्कुलर लेप्स, रेस्पिरेटरी, क्रोनिक लंग डिजीज मरीज को परेशान कर सकती हैं. ऐसी स्थिति में मरीज को हॉस्पिटलाइज करवा देना चाहिए. बेहतर होगा कि इस महामारी काल में मरीज स्वयं शुगर पर नियंत्रण रखने की कोशिश करे.
ऑक्सीजन लेवल का गिरना
पिछले दिनों कोविड मरीजों में अचानक ऑक्सीजन लेवल का गिरना एक राष्ट्रव्यापी मुद्दा बन गया था, जब ऑक्सीजन के अभाव के कारण हजारों मरीजों ने दम तोड़ दिया, क्योंकि अचानक भारी मात्रा में ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं की जा सकी थी. डॉ सुमित के अनुसार मधुमेह के मरीजों की रोग प्रतिरोधक शक्ति जब कमजोर होती है, तो ऑक्सीजन का लेबल सामान्य से कम होने लगता है. इससे मरीज को सांस फूलने, सांस लेने में तकलीफ एवं छाती में दर्द की शिकायत होती है. इस स्थिति को हाइपोक्सिया कहते हैं. यह ऐसी स्थिति होती है, जब मरीज में बिना कोई लक्षण दिखे ऑक्सीजन का लेबल गिर जाता है. यह स्थिति मधुमेह के मरीजों में ज्यादा देखने को मिलती है. डॉ सुमित के अनुसार अगर ऑक्सीजन का लेवल 94 से 90 पर पहुंच जाये तो पेट के बल लेटकर ऑक्सीजन लेवल को बढ़ाया जा सकता है. लेकिन फिर भी ऑक्सीजन लेबल में स्थाई सुधार नहीं होता है तो अपने चिकित्सक से राय लेकर मरीज को अस्पताल में एडमिट करवा देना चाहिए.
नोट- इस लेख में दी गई सेहत से जुड़ी तमाम जानकारियों को सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है. इसे किसी बीमारी के इलाज या फिर चिकित्सा सलाह के लिए प्रतिस्थापित नहीं किया जाना चाहिए और लेख में बताए गए टिप्स पूरी तरह से कारगर होंगे इसका हम कोई दावा नहीं करते हैं, इसलिए लेख में दिए गए किसी भी टिप्स या सुझाव को आजमाने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें.