ब्लैक और व्हाईट के बाद यलो फंगस इंफेक्शन का मामला भारत में दर्ज, जानें क्यों है यह ज्यादा घातक
फंगल इंफेक्शन (Photo Credits: Wikimedia Commons)

देश में ब्लैक फंगस (black fungus) के संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से यलो फंगस का पहला मामला सामने आया है. यह पता चला है कि यलो फंगस ब्लैक फंगस और सफेद फंगस दोनों से ज्यादा खतरनाक है. यलो फंगस से संक्रमित मरीज का इलाज वर्तमान में जाने-माने ईएनटी सर्जन बृज पाल त्यागी के अस्पताल में चल रहा है. यलो फंगस के लक्षण सुस्ती, कम भूख, या बिल्कुल भी भूख न लगना और वजन कम होना है. यह भी पढ़ें: Black Fungus Update: देश में ब्लैक फंगस के 8848 मामले सामने आने से परेशानी बढ़ी, इलाज के लिए केंद्र ने राज्यों को भेजी गई दवा

गंभीर मामलों में यलो फंगस मवाद के रिसाव और खुले घाव के धीमी गति से ठीक होने और सभी घावों की धीमी चिकित्सा, कुपोषण और अंग विफलता और अंततः परिगलन के कारण धंसी हुई आंखों का कारण बन सकता है. यलो फंगस एक घातक बीमारी है क्योंकि यह आंतरिक रूप से शुरू होती है और इसलिए महत्वपूर्ण है कि इसके किसी भी लक्षण दिखने के बाद डॉक्टर से जरुर सम्पर्क करें. येलो फंगस का एकमात्र उपचार एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन (Amphotericin B injection) है, जो एक व्यापक स्पेक्ट्रम एंटिफंगल दवा है. यह भी पढ़ें: Black Fungus: पंजाब के लुधियाना में ब्लैक फंगस का कहर, 30 संक्रमितों का चल रहा इलाज

येलो फंगस के कारण:

यलो फंगस मुख्य रूप से गंदगी के कारण होता है. इसलिए जितना हो सके अपने आस पास सफाई रखें. बैक्टीरिया और फंगस के विकास को रोकने के लिए जितनी जल्दी हो सके पुराने खाद्य पदार्थों हटा दें. घर में ह्यूमिडिटी की वजह से भी यह फैलता है. क्योंकि बहुत अधिक नमी बैक्टीरिया और फंगस के विकास को बढ़ावा दे सकती है. आर्द्रता का सही स्तर 30% से 40% है. इसलिए कमरे को हवादार रखें.