Chhath Puja 2018: पांच दिनों तक दिवाली का जश्न मनाने के बाद लोग छठ पूजा की तैयारियों में जुट जाते हैं. बिहार और उत्तर प्रदेश के अलावा देश के कई हिस्सों में सूर्य को अर्घ्य और छठी मैया की उपासना के इस पावन पर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. मान्यता के अनुसार, सूर्य देव और छठी मैया दोनों भाई-बहन हैं. कहा जाता है इस दिन विधि-विधान से व्रत व पूजन करने से निसंतान दंपत्तियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है. इसके अलावा इस व्रत के प्रभाव से वैवाहिक जीवन और बच्चों के जीवन में खुशहाली आती है.
इस बार छठ का यह पावन पर्व 11 दिसबंर से शुरू हो रहा है. सूर्य और छठी मैया की उपासना का यह पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है. नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और अगले दिन सूर्योदय अर्घ्य के बाद यह व्रत पूर्ण होता है. अगर आप छठ पूजा करने जा रहे हैं तो इससे पहले पूजन के लिए आवश्यक सामग्रियों को जरूर इकट्ठा कर लें. चलिए जानते हैं सामग्रियों की पूरी लिस्ट.
आवश्यक फल-
अमरूद, केला, संतरा, नाशपाती, अन्नानस, बड़ा कागजी नींबू, नींबू, सेब, अंगूर, अनार, जड़ व पत्तियों समेत गन्ना, सूखा व जटा वाला नारियल, शकरकंद, नाशपाती और सिंघाड़ा इत्यादि.
आवश्यक सब्जियां-
मूली, कच्चा अदरक, कच्ची हल्दी, कद्दू, लौकी, खीरा, सुरन और चना इत्यादि.
ड्राई फ्रूट्स-
काजू, पिस्ता, अखरोट, मखाना, बादाम, किशमिश, छुहारा और चिरौंजी इत्यादि.
पूजन सामग्री -
सूर्य देव या छठी मैया की प्रतिमा, अक्षत, दही, गाय का दूध, लाल और पीला सिंदूर, पीसा हुआ चावल, हल्दी, बांस का बड़ा डलिया, छोटा डलिया, बांस या पीतल का सूप, तांबे का लोटा, छोटा बर्तन, सुपारी, पान का पत्ता, लाल या पीले रंग का कपड़ा. लाल रंग का सांबा चावल, गुड़, अलग-अलग रंगों के फूल, गेहूं का आटा, मिठाई, मिश्री, गंगाजल इत्यादि. यह भी पढ़ें: नवंबर 2018: इस महीने पड़ रहे हैं कई बड़े व्रत और त्योहार, यहां है तिथियों की पूरी लिस्ट
अन्य सामग्री-
अगरबत्ती, धूप, कपूर, माचिस, रक्षा सूत्र, व्रती के लिए नए कपड़े, जनेऊ, गुलाल, पूजा की थाली, दूर्वा, मिट्टी का दीया, बाती, घी, चंदन, केसर, इलायची, दूध, सरसों का तेल, गुलाब जल, केवड़ा जल, जौ, और तिल इत्यादि.
ठेकुआ बनाने के लिए-
छठ के प्रसाद के रूप में बनने वाले ठेकुआ और चावल के लड्डू उसी चावल व गेहूं से बनाए जाते हैं, जो विशेष तौर पर छठ के लिए धोए, सुखाए और पिसवाए जाते हैं. इन्हें सुखाने के दौरान अनाज की शुद्धता व पवित्रता का पूरा ध्यान रखा जाता है.