साल 2022 का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण कार्तिक मास की पूर्णिमा (8 नवंबर) को लग रहा है. इस कारण कुछ पर्वों की तिथियों में भी परिवर्तन हो रहा है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्र ग्रहण के कारण इस वर्ष देव दीपावली 8 के बजाय 7 नवंबर को मनाया जाएगा, क्योंकि चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक काल लग जाता है, जिसमें सभी प्रकार के धार्मिक अनुष्ठानों पर प्रतिबंध लग जाता है, लेकिन ग्रहण के कारण लगने वाले सूतक के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं, कि सूतक क्या होता है और इसके कारण पूजा पाठ पर प्रतिबंध क्यों लगते हैं.
क्या है सूतक काल?
सूर्य ग्रहण अथवा चंद्र ग्रहण, के लगने से कुछ समय पहले सूतक काल लगता है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार ग्रहण से पहले और ग्रहण के बाद के कुछ समय अशुभ माने जाते हैं, क्योंकि ग्रहण के कारण पृथ्वी का वातावरण प्रदूषित हो जाता है. हिंदू धर्म के अनुरूप किसी भी हानिकारक दुष्प्रभाव से बचने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतने के लिए कुछ नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है. ज्योतिष शास्त्र में इस काल को अशुभ माना जाता है, इसलिए इस दरम्यान किसी भी प्रकार के मांगलिक अथवा शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं. सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के सूतक काल में थोड़ा फर्क है, सूर्य ग्रहण की स्थिति में सूतक काल 12 घंटे पूर्व लगता है, जबकि चंद्र ग्रहण में सूतक कला नौ या दस घंटे पहले शुरू होता है, यह चंद्र ग्रहण की स्थितियों पर निर्भर करता है. ग्रहण के साथ ही सूतक काल समाप्त हो जाता है. यह भी पढ़ें : Vivah Shubh Muhurat 2022: नवंबर-दिसंबर में कुछ ही दिन बजेंगी शहनाइयां! ज्योतिषाचार्य से जानें शुभ मुहूर्तों का क्यों है अकाल?
सूतक काल के नियम
* जिस स्थान से ग्रहण (सूर्य अथवा चंद्र) दिखाई देता है, सूतक काल वहीं मान्य होता है, और इसी के अनुरूप नियमों का पालन करना या नहीं करना होता है.
* हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दरम्यान पूजा-पाठ एवं प्रतिमा का स्पर्श प्रतिबंधित होता है.
* सूतक काल में तुलसी को छूना अथवा उसके पत्ते तोड़ने मना होता है.
* सूतक काल में गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दर्शन से बचना चाहिए साथ ही किसी नुकीली वस्तु (चाकू, ब्लेड, हंसिया, सुई, खुरपी आदि) का प्रयोग नहीं करना चाहिए.
* इस काल में सोना वर्जित माना गया है.
* सूतक और ग्रहण के दौरान सभी प्रकार के ठोस या तरल खाद्य पदार्थ वर्जित हैं. इसलिए सूर्य ग्रहण से बारह घंटे पहले और चंद्र ग्रहण के नौ घंटे पहले तक ग्रहण समाप्त होने तक भोजन नहीं करना चाहिए.
* इस दरम्यान मंदिर के कपाट बंद कर देना चाहिए अथवा उसे स्वच्छ कपड़ों से ढक देना चाहिए.
* सूतक काल में मंदिर से हटकर अपने इष्टदेव का ध्यान अथवा भजन आदि करना चाहिए.