सामाजिक, आध्यात्मिक एवं शारीरिक शुद्धता के लिए स्नान एक आवश्यक प्रक्रिया है. इससे इंसान स्वस्थ, आकर्षक एवं ऊर्जावान महसूस करता है. आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र ‘चाणक्य नीति’ में साथी अर्थात पत्नी की संतुष्टि, परिवार के भरण पोषण, सुखी वैवाहिक जीवन और समाज के रहन सहन और खुश रहने के तौर तरीके बताएं है. यदि आज का इंसान आचार्य चाणक्य की नीतियों का अनुसरण करे तो वह सदा सुखी जीवन यापन कर सकता है. आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में स्नान की आवश्यकता को उजागर किया है, लेकिन उनका कहना है कि आप एक-दो दिन विभिन्न कारणों से स्नान को टाल सकते हैं, लेकिन कुछ विशेष कार्य के पश्चात स्नान करना बहुत आवश्यक होता है, वरना वह चांडाल कहलाता है. आइये जानते हैं आचार्य की नजर में वे कौन से प्रमुख कार्य हैं, जिसके बाद इंसान के लिए स्नान करना अति आवश्यक हो जाता है.
‘तैलाभ्यंगे चिताधूमे मैथुने क्षौर कर्मणि।
तावद्भवति चाण्डालो यावत्स्नानंन समाचरेत्’
अर्थात स्नान करने के बाद ही व्यक्ति पवित्र होता है वरना शूद्र है. इसे और स्पष्ट करते हुए आचार्य चाणक्य कहते हैं, -तेल लगाने के बाद, बाल अथवा नाखुन काटने के बाद, चिता का धुआं लगने के पश्चात, संभोग अथवा मैथुन करने के पश्चात तथा बाल कटवाने के पश्चात जब तक मनुष्य स्नान नहीं कर लेता, वह चाण्डाल की श्रेणी में गिना जाता है. आइये इसे विस्तार से समझते हैं. यह भी पढ़ें : Chanakya Niti: लोभ, पर-निंदा और अपयश मानव को कमजोर बनाते हैं! जानें चाणक्य की इस नीति में क्या रहस्य निहित है!
बाल कटवाने के बादः चाणक्य नीति के मुताबिक, बाल कटवाने के बाद स्नान करना ज़रूरी है, क्योंकि बाल कटवाने के बाद शरीर पर छोटे-छोटे बाल चिपक जाते हैं, जो बिना नहाए नहीं हटते. अगर ये बाल पेट में चले जाएं, तो सेहत बिगड़ सकती है और संक्रमण का खतरा भी रहता है. साथ ही, अगर आप नहाते नहीं हैं, तो आपका शरीर अशुद्ध रह जाता है
संभोग के बादः चाणक्य का मानना है कि सम्भोग के बाद स्नान अवश्य करना चाहिए. इससे आपके शरीर से जो कीटाणु या रोगाणु बाहर निकलते हैं वह आपकी सेहत के लिए बेहद जरूरी होता है.
तेल की मालिश के बादः आचार्य के मुताबिक तेल के साथ मालिश करवाने के बाद स्नान करने त्वचा पर जो मैल जमा हो जाता है, वह साफ़ होता है. इसके अलावा, तेल लगाने के बाद स्नान करने से त्वचा में चमक आती है.
श्मशान से वापस आने के बादः आचार्य का मानना है कि श्मशान भूमि पर निरंतर शव दाह होते रहने से वहां एक प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बन जाता है. यह कमज़ोर मनोबल के व्यक्ति को हानि पहुंचा सकता है. दाह संस्कार के बाद मृत आत्मा का सूक्ष्म शरीर कुछ समय तक वहां मौजूद रहता है, जो अपनी प्रकृति के अनुसार किसी भी प्रकार का हानिकारक प्रभाव भी डाल सकता है. इसलिए, बिना नहाए घर के अंदर जाने से व्यक्ति के साथ नकारात्मक ऊर्जा भी घर में प्रवेश करती है.