चैत्र नवरात्रि का सप्तमी (28 मार्च 2023) को मां दुर्गा के सबसे शक्तिशाली एवं दिव्य स्वरूप माँ कालरात्रि की पूजा होगी. कालों की काल मां कालरात्रि शुंभ, निशुंभ एवं रक्तबीज का संहार करने के लिए प्रकट हुई थीं. मां कालरात्रि की पूजा तंत्र-साधना के लिए महत्वपूर्ण बताई जाती है. इस दिन मां कालरात्रि की पूजा-अनुष्ठान से शत्रुओं का नाश होता है. मान्यतानुसार माँ जिस पर प्रसन्न होती हैं, उसे हर संकटों से मुक्ति दिलाती हैं. ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार जिनकी कुंडली में शनि-दोष होता है, माँ की पूजा से उसका असर भी खत्म हो जाता है. नकारात्मक शक्तियां पास नहीं फटकतीं. आइये जानें माँ कालरात्रि के संदर्भ में महत्वपूर्ण जानकारियां
माँ काल रात्रि की पूजा का महत्व!
माँ दुर्गा के सातवें स्वरूप कालरात्रि की महायोगिनी अथवा महायोगिश्वरी के नाम से भी पूजा की जाती है. इनकी भाव-मुद्रा काफी रौद्र लगता है, लेकिन ये अपने भक्तों पर जल्दी प्रसन्न होती हैं, उसे शुभ फल देने में विलंब नहीं करतीं, इसीलिए इन्हें शुभांकरी भी कहते हैं. माँ कालरात्रि अपने तमाम कष्टों से पीड़ित भक्तों का तंत्र-मंत्र से भी कल्याण करती हैं. इनकी पूजा से बड़े-बड़े रोग नष्ट होते हैं, शत्रुओं पर विजय तथा मन को विकारों से मुक्ति मिलती है. माँ काली के प्रसन्न होने से जातक पर बुरे ग्रहों का असर नहीं पड़ता. यह भी पढ़ें : Shivtej Din 2023: जब शिवाजी ने सर्जिकल स्ट्राइक कर मुगलों की नींद उड़ाई थी! जानें इस संदर्भ में कुछ रोचक तथ्य!
माँ काली का दिव्य स्वरूप!
देवी पुराण में माँ काली के कई नाम वर्णित हैं, उदाहरणार्थ कापालिनी, कांता, कामदा, कामसुंदरी, कालरात्रि, कालिका, कालभैरव पूजिता, कुरुकुल्ला, कामिनी, कमनीय स्वभाविनी, कुलीना, कुलकर्त्री, कुलवर्त्मप्रकाशिनी, कस्तूरीरसनीला, काम्या, कामस्वरूपिणी, ककारवर्णनीलया, कामधेनु, करालिका, कुलकान्ता, करालास्या, कामार्त्ता, कलावती, कृशोदरी कामाख्या, कौमारी, कुलपालिनी, कुलजा, कुलकन्या इत्यादि. माता की काया घने अंधकार की तरह काला है, सिर के बाल बिखरे हुए, त्रिनेत्र, गले में मुंड माला रहती है. इनका वाहन गर्दभ है. इनके दस हाथ होते हैं, जिसमें, अग्नि, तलवार, फरसा, गदा, धनुष, चक्र, शंख एवं गले में मुंड माला शोभायमान होता है. माँ का साक्षात्कार करने वाले भक्त को सिद्धियों, निधियों, ज्ञान, शक्ति, धन आदि की प्राप्ति होती है.
माँ कालरात्रि की पूजा की तिथि एवं मुहूर्त!
चैत्र शुक्लपक्ष सप्तमी प्रारंभः 05.27 PM (27 मार्च 2023) से
चैत्र शुक्लपक्ष समाप्तः 07.02 PM (28 मार्च 2023) तक
निशिता काल मुहूर्तः मध्यरात्रि 12.03 AM से 12.49 AM तक
द्विपुष्कर योगः 06.16 AM से 05.32 PM तक
सौभाग्य योगः 11.20 PM (27 मार्च 2023) से 11.36 PM (28 मार्च 2023)
माँ कालरात्रि की पूजा!
सप्तमी की रात सिद्धियों की रात कही जाती है, इसलिए माँ कालरात्रि की पूजा रात्रि में करने का विधान है. चैत्र सप्तमी के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्ति होकर पूरे दिन उपवास रहें. शुभ मुहूर्त के अनुसार स्वच्छ वस्त्र पहनें. सर्वप्रथम गणेशी जी की पूजा करें. इसके बाद स्थापित कलश के सामने धूप-दीप प्रज्वलित करें. अब चंपा के फूल, रोली, सिंदूर, चंदन, केसर, इत्र, अक्षत अर्पित करें. भोग में गुड़ और शहद चढ़ाएं. इस दिन पूजा के बाद ब्राह्मण को गुड़ दान करने से माँ काली की कृपा से सारे संकट दूर होते हैं. अब दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और अंत में माँ दुर्गा एवं माँ कालरात्रि की आरती उतारें.
मां कालरात्रि की आरती
कालरात्रि जय जय महाकाली, काल के मुंह से बचाने वाली
दुष्ट संहारिणी नाम तुम्हारा, महा चंडी तेरा अवतारा
पृथ्वी और आकाश पर सारा, महाकाली है तेरा पसारा
खंडा खप्पर रखने वाली, दुष्टों का लहू चखने वाली
कलकत्ता स्थान तुम्हारा, सब जगह देखूं तेरा नजारा
सभी देवता सब नर नारी, गावे स्तुति सभी तुम्हारी
रक्तदंता और अन्नपूर्णा, कृपा करे तो कोई भी दुःख ना
ना कोई चिंता रहे ना बीमारी, ना कोई गम ना संकट भारी
उस पर कभी कष्ट ना आवे, महाकाली मां जिसे बचावे
तू भी 'भक्त' प्रेम से कह, कालरात्रि मां तेरी जय।