Baba Mahakal in Bhasma Aarti: भस्म आरती में बाबा महाकाल का अद्भुत श्रृंगार, खुले त्रिनेत्रों के साथ दिए भक्तों को दर्शन

उज्जैन, 11 अक्टूबर : कार्तिक मास, कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि दिन शनिवार को उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में भक्तों को बाबा महाकाल (Baba Mahakal) के अद्भुत दर्शन हुए हैं. प्रात: सुबह 4 बजे भस्म आरती में बाबा महाकाल का अलौकिक श्रृंगार किया गया. बाबा के अलौकिक रूप के दर्शन करने के लिए मंदिर में भी भक्तों का तांता लगा रहा. श्री महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple) में भस्म आरती के लिए बाबा का श्रृंगार बाकी दिनों से अलग होता है. बाबा की भस्म आरती के लिए उनके मस्तक पर तीसरा नेत्र बनाया गया. ऐसा लगता है कि बाबा तीनों नेत्रों से बाबा को आशीर्वाद दे रहे हैं. बाबा के श्रृंगार में सभी प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल होता है, जिसमें भांग, चंदन, अबीर और फूल मुख्य हैं. पुजारी पंडित महेश शर्मा ने बताया कि भस्म आरती के बाद वीरभद्र जी से आज्ञा लेकर मंदिर के पट खुलने के बाद बाबा महाकाल का जलाभिषेक किया जाता है. उन पर घी, शक्कर, दूध, दही और फल अर्पित किए जाते हैं, जिसके बाद बाबा के श्रृंगार को पूरा करते हुए उन्हें नवीन मुकुट, रुद्राक्ष और मुंड माला धारण कराई गई.

बाबा के लिए भस्म महानिर्वाणी अखाड़े की तरफ से आई थी. बाबा के श्रृंगार रूप को देखने के लिए मंदिर में बड़ी संख्या में भक्तगण मौजूद रहे. मंदिर का प्रांगण जय श्री महाकाल के जयघोष से गूंज उठा. बता दें कि भस्म आरती के कुछ नियम होते हैं. भस्म आरती के वक्त पुरुषों को धोती पहनना अनिवार्य होता है और महिलाओं को साड़ी पहनना. महिलाओं को साड़ी पहनने के साथ-साथ आरती के समय घूंघट करना पड़ता है. माना जाता है कि भस्म आरती के समय बाबा महाकाल निराकार स्वरूप में होते हैं. यह भी पढ़ें : Vastu & Ishan Kon: घर के ईशान कोण के ये वास्तु दोष आपको बर्बाद कर सकते हैं! जानें ऐसे कुछ महत्वपूर्ण दोषों के बारे में!

इससे पहले शुक्रवार को करवाचौथ के दिन बाबा को अर्ध चंद्र अर्पित कर श्रृंगार किया गया था. बाबा के माथे पर चमचमाता आधा चांद लगाया, जिसके बाद पुजारी ने भगवान शिव पर से चांद उतार कर पंचामृत का अभिषेक किया और फिर कपूर आरती की.

उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर हर मायनों में खास है. कहा जाता है कि उज्जैन मंदिर में विराजमान भगवान शिव का शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ था. इस मंदिर को 12 ज्योतिर्लिंगों में स्थान मिला है. माना जाता है कि इसी जगह पर बाबा भोलेनाथ ने दूषण राक्षस का अंत किया था. दूषण राक्षस का अंत करने के लिए बाबा खुद प्रकट हुए थे और अपने भक्तों को राक्षस के अत्याचार से बचाया था. भक्तों के आग्रह की वजह से बाबा ने वहीं अपना स्थान ले लिया.