ग्रेटर नोएडा, 24 अप्रैल: यमुना प्राधिकरण आज अपने 23वें साल में प्रवेश कर गया है. बीते 22 साल में यमुना अथॉरिटी ने कई उतार-चढ़ाव देखे. एक समय तो ऐसा आया था जब घाटे के चलते प्राधिकरण को अन्य प्राधिकरण के साथ मर्ज करने की भी तैयारी चल रही थी. लेकिन अब हालात बदल चुके हैं. 3200 करोड रुपए के कर्ज को चुकाने के बाद अब यमुना अथॉरिटी 404 करोड रुपए के मुनाफे में आ चुकी है. यमुना अथॉरिटी इस उपलब्धि में सबसे बड़ा हाथ एयरपोर्ट परियोजना का रहा. जेवर एयरपोर्ट परियोजना की घोषणा होने के बाद यमुना अथॉरिटी के पास मौजूद जमीनों के दाम ने आसमान छूने शुरू कर दिए. यह भी पढ़ें: UPI With Prompt Pay Service: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए भारत को मिला थाईलैंड का साथ, यूपीआई का बढ़ेगा दायरा
इस समय यमुना अथॉरिटी के पास परियोजनाओं की कमी नहीं है और ना ही निवेशकों की. प्राधिकरण के पास इस समय जेवर एयरपोर्ट, मेडिकल डिवाइस पार्क, टॉय पार्क, डाटा सेंटर पार्क, पतंजलि फूड एंड हर्बल पार्क, लेदर पार्क, नर्सी मूंजी यूनिवर्सिटी और लिंकन यूनिवर्सिटी समेत 50 से अधिक प्रोजेक्ट हैं, जो अगले साल तक आ जाएंगे. इनसे जहां ढाई लाख लोगों को रोजगार मिलेगा, वहीं एक लाख करोड़ का निवेश भी होगा.
यमुना प्राधिकरण की स्थापना 24 अप्रैल 2001 को हुई थी. यमुना अथॉरिटी ने 2031 के मास्टर प्लान को अपग्रेड करते हुए मास्टर प्लान 2041 तैयार किया है. इसमें 19 सेक्टर बढ़ाते हुए अब 70 सेक्टर बनाए गए हैं. इनमें 23 सेक्टर औद्योगिक, 15 सेक्टर आवासीय, 8 सेक्टर व्यवसायिक, 4 सेक्टर मल्टीपल यूज, 3 सेक्टर मिक्स यूज के बनाए गए हैं.