केरल हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि अगर कोई प्रेग्नेंट महिला अबॉर्शन कराना चाहती है, तो उसे ऐसा करने के लिए अपने पति की मंजूरी की कोई जरूरत नहीं है. कोर्ट ने कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसके तहत महिला को अबॉर्शन करने के लिए अपने पति की अनुमति लेनी पड़े. कोर्ट ने कहा कि महिला ही गर्भावस्था और प्रसव के दर्द और तनाव को सहन करती है इसलिए उसे अनुमति की जरूरत नहीं है.
एमटीपी अधिनियम के नियमों के अनुसार, 20 से 24 सप्ताह के गर्भ को खत्म करने की अनुमति दी जाती है अगर गर्भावस्था के दौरान वैवाहिक स्थिति में परिवर्तन (पति की मृत्यु या तलाक) होता है.
Strain In Marriage Ground For Wife To Seek Abortion Of Pregnancy Upto 24 Weeks, Legal Divorce Or Husband's Consent Not Required : Kerala High Court| @navya_benny #Abortion #pregnancy https://t.co/jswJUEf0F8— Live Law (@LiveLawIndia) September 28, 2022
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