केरल उच्च न्यायालय ने हाल ही में कहा कि नाबालिग बच्चे के सामने नग्न होकर यौन संबंध बनाना, धारा 11 के तहत परिभाषित और POCSO अधिनियम की धारा 12 के तहत दंडनीय, बच्चे का यौन उत्पीड़न माना जाएगा. न्यायमूर्ति ए बदरुद्दीन (Justice A Badharudeen) की हाई कोर्ट की पीठ ने आगे कहा कि बच्चे को दिखाने के इरादे से शरीर के किसी भी अंग को प्रदर्शित करना यौन उत्पीड़न माना जाएगा. अदालत ने कहा, "इस प्रकार, प्रथम दृष्टया, इस मामले में याचिकाकर्ता के खिलाफ POCSO अधिनियम की धारा 11(i) के साथ धारा 12 के तहत दंडनीय अपराध करने का आरोप बनता है." याचिकाकर्ता, जिसे दूसरे आरोपी के रूप में खड़ा किया गया था, ने बच्चे की मां के साथ यौन संबंध बनाए, जिसे पहले आरोपी के रूप में नामित किया गया है. यह भी पढ़ें: HC on Child Marriage: केरल हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- धर्म कोई भी हो, बाल विवाह कानून सब पर लागू होता है, मुस्लिम पर्सनल लॉ की दलील खारिज

आरोप यह है कि याचिकाकर्ता और मां ने नाबालिग लड़के को कुछ सामान खरीदने के लिए भेजने के बाद एक लॉज के कमरे में यौन संबंध बनाए. यह भी आरोप है कि नाबालिग लड़के ने याचिकाकर्ता और उसकी मां को सामान खरीदने के बाद वापस आने पर नग्न होने के बाद यौन संबंध बनाते हुए देखा क्योंकि उन्होंने कमरा बंद नहीं किया था. यह भी आरोप लगाया गया कि याचिकाकर्ता ने नाबालिग को देखते ही उसकी गर्दन पकड़कर, उसके गाल पर मारते हुए तथा उसे नीचे गिराकर उसके साथ दुर्व्यवहार किया.

नाबालिग के सामने यौन संबंध बनाना और नग्न होना POCSO अधिनियम की धारा 11 के तहत यौन उत्पीड़न के समान है- केरल हाई कोर्ट

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