औरंगजेब की कब्र को लेकर नागपुर में हिंसा, कुछ इलाकों में कर्फ्यू
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

महाराष्ट्र में कई हफ्तों से सुलगाए जा रहे औरंगजेब की कब्र के मामले ने सोमवार शाम नागपुर को अपनी चपेट में ले लिया. शहर में हुई हिंसा में कई लोग और पुलिसकर्मी घायल हो गए और कई गाड़ियों को आग लगा दी गई.17 मार्च की शाम नागपुर में शिवाजी महाराज मूर्ति के पास विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर प्रदर्शन का आयोजन किया था. प्रदर्शन में 318 साल पहले मारे जा चुके औरंगजेब का पुतला जलाया गया.

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इसके बाद शहर में अफवाह फैल गई कि प्रदर्शन में एक धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण चादर को भी जलाया गया है. इस अफवाह के फैलने के बाद मुस्लिम समुदाय के लोग नाराज हो गए और कई इलाकों में दो समुदायों के बीच झड़प हुई.

खुल्दाबाद में है औरंगजेब की कब्र

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक इस हिंसा में कम से कम 10 दंगा-विरोधी कमांडो, दो वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और दो दमकलकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए. भीड़ ने कई गाड़ियों, पुलिस वाहनों और बुलडोजरों को भी आग लगा दी. पुलिस ने कम से कम 50 लोगों को हिरासत में ले लिया है. शहर के कई हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया गया है.

महाराष्ट्र में पिछले कई महीनों से औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद चल रहा है. छठे मुगल बादशाह औरंगजेब को मुगल साम्राज्य का सबसे ज्यादा विस्तार करने और अपने पूर्वज बादशाहों के धार्मिक बहुलवाद के उलट इस्लाम के प्रसार के लिए क्रूर नीतियां लागू करने के लिए जाना जाता है.

औरंगजेब के नाम से भी तकलीफ

हिंदुत्ववादी संगठन लंबे समय से इन कारणों से औरंगजेब की निंदा करते रहे हैं और यह कहते रहे हैं कि आधुनिक भारत में औरंगजेब की विरासत को किसी भी रूप में जिंदा रखने की कोई जरूरत नहीं है.

इसी वजह से सितंबर, 2023 में महाराष्ट्र सरकार ने औरंगाबाद जिले और औरंगाबाद शहर का नाम बदल कर छत्रपति संभाजी नगर कर दिया था. इसी जिले के खुल्दाबाद इलाके में मुंबई से करीब 325 किलोमीटर दूर औरंगजेब का मकबरा है.

औरंगजेब की मौत 1707 में हुई थी जिसके बाद उन्हें यहां दफना दिया गया था. हुमायूं, अकबर, शाहजहां आदि जैसे अन्य मुगल बादशाहों के मकबरों के मुकाबले औरंगजेब का मकबरा वास्तुकला का कोई भव्य नमूना नहीं है, बल्कि ये सूफी संत शेख जैनुद्दीन की दरगाह के परिसर में एक बेनिशान कब्र है.

कब्र को हटाने का अभियान

इतिहासकारों का मानना है कि औरंगजेब की ही इच्छा थी कि उसकी कब्र सूफी संत शेख जैनुद्दीन के पास और बिलकुल सादगी से बनाई जाए. यह भारत सरकार के पुरातत्व विभाग (एएसआई) द्वारा संरक्षित इमारत है. महाराष्ट्र में हिंदुत्ववादी संगठन मांग कर रहे हैं कि इस कब्र को राज्य से हटा दिया जाए.

खुद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और बीजेपी के नेता देवेंद्र फडणवीस इस मांग से सहमत हैं. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक सतारा से बीजेपी के सांसद उदयनराजे भोसले ने भी यह मांग की थी, जिसके जवाब में फडणवीस ने उनसे कहा कि वो भी इस मांग से सहमत हैं लेकिन यह एक संरक्षित स्मारक है.

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विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने कहा है कि कब्र को हटाने का उनका अभियान जारी रहेगा. बजरंग दल ने यह भी कहा है कि वो कब्र को हटाने के लिए लाखों हिंदुओं के साथ 'कर सेवा' शुरू करेगा.

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