लखनऊ: 19 फरवरी 2019 यानी मंगलवार को देशभर में माघ पूर्णिमा (Magh Purnima) और गुरु रविदास जयंती (Guru Ravidas Jayanti) का पर्व मनाया जाएगा. इस बेहद खास मौके पर उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) ने सार्वजनिक अवकाश (Public Holiday) की घोषणा की है. प्रदेश के प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार (Jitendra Kumar) की ओर से जारी आदेश में कहा गया कि 19 फरवरी को माघ पूर्णिमा और संत रविदास जयंती के मौके पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है. बता दें कि माघ पूर्णिमा के अवसर पर प्रयागराज कुंभ (Prayagraj Kumbh) में पवित्र स्नान है. वहीं गुरु रविदास जयंती पर पूर्व में प्रतिबंधित अवकाश था, जिसे अब सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है.
माघ पूर्णिमा पर श्रद्धालु लगाएंगे आस्था की डुबकी
दरअसल, हिंदू धर्म में माघ महीने (Magh Month) का विशेष महत्व बताया जाता है. इसे भगवान सूर्य (Bhagwan Surya) और भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) का माह बताया जाता है. इस बार की पूर्णिमा इसलिए भी बेहद खास है, क्योंकि इन दिनों प्रयागराज कुंभ मेले (Prayagraj Kumbh Mela) की जगमगाहट से गुलजार है. इसके अलावा महीने भर से चल रहा कल्पवास (Kalpwas) भी पूर्णिमा के दिन संपन्न हो जाएगा. सबसे खास बात तो यह है कि इस बार माघ पूर्णिमा पर (Magh Purnima) पुष्य नक्षत्र (Pushya Nakshatra) का अद्भुत संयोग बन रहा है. यह भी पढ़ें: Magh Purnima 2019: माघ पूर्णिमा पर गंगाजल में विराजते हैं भगवान विष्णु, इस दिन स्नान और दान का है विशेष महत्व, जानें शुभ मुहूर्त
पद्म पुराण के अनुसार, माघ में जप-तप से भगवान विष्णु बेहद प्रसन्न होते हैं और माघ पूर्णिमा के दिन स्नान और दान-पुण्य करने से नरक लोक से मुक्ति मिलती है. मान्यता है कि इस दौरान गंगा स्नान करने से इसी जन्म में मुक्ति की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही व्यक्ति को धन-धान्य, सुख-समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती है. अनुमान है कि इस माघी पूर्णिमा पर तीन से चार करोड़ श्रद्धालु प्रयागराज पहुंच सकते हैं.
संत कवियों में विशिष्ट स्थान रखते हैं गुरु रविदास
माघी पूर्णिमा के साथ-साथ संत रविदास जयंती भी मनाई जाएगी. बता दें कि महान संत कबीर के समकालीन गुरु संत रविदासजी का जन्म सन 1388 में बनारस में हुआ था. हालांकि कुछ विद्वान मानते हैं कि उनका प्रादुर्भाव सन 1398 में हुआ. मध्ययुगीन साधकों में संत रविदासजी का विशिष्ट स्थान है. संत साहित्य में इस बात का जिक्र मिलता है कि रविदासजी कबीर की तरह ही उच्च कोटि के प्रमुख संत कवियों में विशिष्ट स्थान रखते हैं. यह भी पढ़ें: Shivaji Maharaj Jayanti 2019: एक महान योद्धा और दयालु शासक थे छत्रपति शिवाजी महाराज, जानिए उनके जीवन से जुड़ी ये खास बातें
संत रविदासजी आडम्बर के घोर विरोधी थे. यही वजह है कि वे मूर्तिपूजा, तीर्थयात्रा आदि में बिल्कुल भी विश्वास नहीं करते थे. उनका मानना था कि व्यक्ति की निश्छल भावना और आपसी भाईचारा ही इंसान का सच्चा धर्म है.
(भाषा इनपुट के साथ)