कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने भारत (India) को बुरी तरह प्रभावित किया है. इसके बावजदू देश के कोरोना योद्धा (Corona Warrior) ईमानदारी और कड़ी मेहनत कर के कोविड-19 (COVID-19) के कारण उपजी गंभीर चुनौतियों से निपट रहे हैं. ऐसे ही एक कोरोना योद्धा की जज्बे की कहानी उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) से सामने आई है. मैनपुरी (Mainpuri) के प्रभात यादव मथुरा (Mathura) में एंबुलेंस चलाने का काम करते हैं. कोविड -19 मरीजों के लिए एंबुलेंस (Ambulance) चलाने का काम करने वाले प्रभात को 15 मई को खबर मिली कि उनकी मां का निधन हो गया है. प्रभात अपनी ड्यूटी करने में व्यस्त थे. उन्हें बार-बार फोन आ रहे थे लेकिन वे नहीं गए. उन्होंने पूरी रात काम किया और 15 मरीजों को अस्पताल पहुंचाया. इसे बाद अपनी शिफ्ट खत्म कर के प्रभात 200 किलोमीटर दूर अपने गांव पहुंचे और अपनी मां का अंतिम संस्कार किया. यह भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट पहुंचा दाह संस्कार और एंबुलेंस सेवा के लिए अधिक वसूली का मुद्दा.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रभात 24 घंटे में काम पर वापस लौट आए. 33 साल के प्रभात ने कहा कि मां के निधन की खबर सुनकर वह हिल गए थे. लेकिन उन्होंने खुद को संभाला और अपना काम जारी रखा. उन्होंने कहा कि हम जो काम करते हैं वो अत्यंत महत्वपूर्ण है. प्रभात पिछले 9 सालों से 108 एंबुलेंस सेवा के लिए ड्राइवर के रूप में काम करते हैं.
प्रभात कहते हैं कि वह घर बैठ कर अपनी मां की मृत्यु का शोक नहीं मना सकते. अगर मैंने कुछ मरीजों का जीवन बचा लिया तो निश्चित ही मेरी मां मुझ पर खुश होंगी. रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल जुलाई महीने में प्रभात के पिता की मृत्यु भी कोरोना के कारण हो गई थी. उस वक्त भी प्रभात केवल एक दिन के लिए घर गए और अंतिम संस्कार के बाद वापस अपनी ड्यूटी करने लौट आए.