नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) में याचिका दायर कर कोविड-19 (Covid-19) महामारी के दौरान दाह संस्कार और एंबुलेंस (Ambulance) सेवा के लिए कथित तौर पर अधिक शुल्क लेने का मुद्दा उठाया गया है और शीर्ष अदालत से अनुरोध किया गया है कि वह केंद्र को मृतकों के अधिकारों की रक्षा के लिए नीति बनाने पर विचार करने का निर्देश दे. Corona Update: भारत में कोरोना के 2.40 लाख नए मामले सामने आए, 3,741 मरीजों की हुई मौत
गंगा नदी में कई शवों के बहने की खबरों का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया कि केंद्र को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश देना चाहिए कि वे प्राणघातक वायरस से मरने वालों को दफनाने या दाह संस्कार करने और एंबुलेंस सेवा के लिए कीमत तय करने हेतु यथाशीघ्र दिशानिर्देश बनाएं और उक्त निर्देशों का अनुपालन नहीं करने वालों के लिए दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान हो.
अधिवक्ता जोस अब्राहम के जरिये दायर याचिका में गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) डिस्ट्रेस मैनेजमेंट कलेक्टिव ने कहा, ‘‘ पैसे की कमी की वजह से लोगों को अपने प्रियजनों के शवों को गंगा जैसी नदियों में प्रवाहित करते देखना बहुत परेशान करने वाला है.’’
याचिका में दावा किया गया, ‘‘प्राथमिक रूप से यह दाह संस्कार और एंबुलेंस सेवा के लिए अधिक राशि मांगे जाने की वजह से हो रहा है और कई लोग अपने प्रियजनों के शवों को गंगा नदी में प्रवाहित करने का फैसला कर रहे हैं.’’
एनजीओ ने कहा कि हाल में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने परामर्श जारी कर मृतकों के सम्मान और अधिकार की रक्षा करने को कहा. याचिका में आरोप लगाया गया है कि अधिकारियों ने श्मशान भूमि की देखरेख कर रहे लोगों द्वारा निर्लज्ज तरीके से लाभ कमाने के मामले से निपटने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है जिसकी वजह से कई लोग शवों का दाह संस्कार नहीं कर पा रहे हैं या अपने प्रियजनों को दफना रहे हैं.
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