लखनऊ,18 जुलाई : समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) के लिए अपने लोकप्रिय नारे 'काम बोलता है' के नारे के साथ फिर से चुनाव मैदान में उतरेगी. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव लगातार अपनी सरकार की उपलब्धियों के बारे में ट्वीट करते रहे हैं. और यह भी बताते रहे हैं कि योगी आदित्यनाथ सरकार की अधिकांश 'उपलब्धियां' वास्तव में उनके शासन में शुरू की गई थीं. पार्टी अब सपा सरकार द्वारा किए गए कार्यों की तुलना भाजपा सरकार द्वारा किए गए कार्यों से करेगी. पार्टी जाति के मुद्दों को खुले तौर पर संबोधित नहीं करना चाहती है और मतदाताओं का ध्यान अपने पिछले प्रदर्शन की ओर खींचने की कोशिश करेगी.
पार्टी के एक पदाधिकारी ने कहा, "हम अपने काम को बताएंगे. कोई बयानबाजी नहीं होगी - बस साधारण तथ्य समाने लाएंगे." उदाहरण के लिए, जब केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कुशीनगर हवाई अड्डे के लिए अंतरराष्ट्रीय दर्जा को मंजूरी दी थी, तो अखिलेश ने ट्वीट किया था. "एसपी लोगों के लिए काम करती है. जिन्होंने सपा सरकार के कार्यकाल के दौरान कुशीनगर हवाईअड्डे की पहल की थी, उन्हें शुभकामनाएं. मेरठ, मुरादाबाद में सपा सरकार की लंबित हवाईअड्डा परियोजनाओं को भी मंजूरी दें." इससे पहले, उन्होंने गाजियाबाद-दिल्ली एलिवेटेड रोड के एक वीडियो को 'काम बोलता है' के रूप में टैग किया था और साथ ही जय प्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर (जेएनपीआईसी) की एक तस्वीर को भी टैग किया था,जिसका निर्माण योगी शासन में रुका हुआ है. यह भी पढ़ें : Uttar Pradesh: पुलिस अधिकारी पर महिला के ऊपर बैठकर मारपीट करने का आरोप
अखिलेश ने कहा, "क्या भाजपा हमें बता सकती है कि उन्होंने अपने दम पर किन परियोजनाओं को पूरा किया है? उनकी प्रमुख उपलब्धियां क्या हैं. असमंजस्य और नफरत फैलाने के अलावा कुछ कम नही करती है. हमारे पास आम आदमी के लाभ के लिए एक्सप्रेसवे, मेट्रो और कई अन्य परियोजनाएं थीं." सपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले अपने अभियान की शुरूआत 'काम बोलता है' के नारे से की थी. हालांकि, जब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सपा-कांग्रेस गठबंधन बना था, तो नारा बदलकर 'यूपी को ये साथ पसंद है' और पोस्टरों में अखिलेश यादव और राहुल गांधी को हाथ पकड़े हुए दिखाया गया था. 2019 के लोकसभा चुनावों में भी, सपा को यह नारा छोड़ना पड़ा जब उसने बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन किया और उसे अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा. पार्टी के एक कार्यकर्ता ने कहा, "हम स्पष्ट रूप से गठबंधन के लिए अपने नारे का उपयोग नहीं कर सके.
इस बार, हम चुनाव लड़ रहे हैं. 2022 के चुनाव अपने बल पर और 'काम बोलता है' के नारे पर ही हमारा केंद्र बिंदु होगा." एक और नारा जो पार्टी ने चलाया है वह है '22 में साइकिल', जिसका इस्तेमाल पार्टी के कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाने के लिए चुनाव पूर्व गतिविधियों में बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. पार्टी को एक नया चुनावी गीत भी मिला है, जिसमें लिखा है, "अखिलेश हूं मैं, प्रगति का संदेश हूं मैं" और दूसरा गीत है, "नई हवा है, नई सपना है." पार्टी स्पष्ट रूप से इस धारणा को दूर करने की कोशिश कर रही है कि पार्टी में दिग्गजों की कोई कमी नहीं है, जिसमें युवा नेतृत्व है - खासकर 2017 में परिवार में बहुप्रचारित झगड़े के बाद, जिसकी पार्टी को भारी कीमत चुकानी पड़ी थी. पार्टी पहले ही चुनावी मोड में आ गई है और अखिलेश लगभग हर दिन विभिन्न जिलों के पार्टी कार्यकतार्ओं के साथ बातचीत कर रहे हैं.