इम्फाल, 7 मई: हिंसाग्रस्त मणिपुर के कुछ क्षेत्रों में कर्फ्यू में ढील दिये जाने के बीच हालात पर सेना के कई ड्रोन और हेलीकॉप्टर के जरिये नजर रखी जा रही है. अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों तक जारी जातीय हिंसा और अराजकता के कारण प्रभावित क्षेत्रों में फंसे करीब 23,000 लोगों को अभी तक निकाला गया है और इन्हें सैन्य छावनियों में भेजा गया है.
कुछ हद तक जीवन सामान्य होने पर सेना और असम राइफल्स के कर्मियों ने फ्लैग मार्च किया,लेकिन तनाव स्पष्ट रूप से दिख रहा था. इस बीच राज्यपाल अनुसुइया उइके ने सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह और ऑपरेशनल कमांडर आशुतोष सिन्हा के साथ बैठक की अध्यक्षता की. बैठक में दोनों अधिकारियों ने राज्यपाल को अपने सुझाव दिये. Manipur Violence: मेइती समुदाय को एसटी दर्जे के अदालत के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका
अधिकारियों ने बताया कि हिंसा प्रभावित चुराचांदपुर इलाके में सुबह सात से 10 बजे के बीच कर्फ्यू में ढील दी गई और इस दौरान खाद्य पदार्थ, दवाइयां व अन्य जरूरी सामान खरीदने के लिए लोग बड़ी संख्या में घरों से बाहर निकले.
अधिकारियों के मुताबिक, सुबह 10 बजे कर्फ्यू में ढील की मियाद खत्म होने के बाद सेना और असम राइफल्स के जवानों ने शहर में फ्लैग मार्च किया. हिंसा प्रभावित राज्य में सेना के 120 से 125 ‘कॉलम’ की तैनाती की गई है. सूत्रों ने बताया कि मणिपुर में अर्धसैनिक बलों और केंद्रीय पुलिस बलों के करीब 10,000 जवानों को भी तैनात किया गया है.
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि शांति संबंधी पहल को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए हर विधानसभा क्षेत्र में शांति समितियों का गठन किया जाएगा. वहीं, रक्षा विभाग की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि अब तक विभिन्न समुदायों के लगभग 23,000 लोगों को बचाकर सैन्य छावनियों में स्थानांतरित किया गया है.
गौरतलब है कि मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती समुदाय द्वारा उसे अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) की ओर से बुधवार को आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान चुराचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र में हिंसा भड़क गई थी.
नगा और कुकी सहित अन्य आदिवासी समुदायों की ओर से इस मार्च का आयोजन मणिपुर उच्च न्यायालय द्वारा पिछले महीने राज्य सरकार को मेइती समुदाय की एसटी दर्जे की मांग पर चार सप्ताह के भीतर केंद्र को एक सिफारिश भेजने का निर्देश देने के बाद किया गया था.
पुलिस के मुताबिक, तोरबंग में मार्च के दौरान हथियार थामे लोगों की भीड़ ने कथित तौर पर मेइती समुदाय के सदस्यों पर हमला किया. मेइती समुदाय के लोगों ने भी जवाबी हमले किए, जिससे पूरे राज्य में हिंसा फैल गई.
मणिपुर की कुल आबादी में मेइती समुदाय की 53 फीसदी हिस्सेदारी होने का अनुमान है. इस समुदाय के लोग मुख्यत: इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी सहित अन्य आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत के करीब है तथा वे मुख्यत: इंफाल घाटी के आसपास स्थित पहाड़ी जिलों में रहते हैं.
वहीं, केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री जी. किशन रेड्डी ने मणिपुर हिंसा में शामिल समुदायों से शांति बरतने की अपील करते हुए कहा कि केंद्र सरकार बातचीत और मुद्दे के समाधान के लिए तैयार है.
रेड्डी ने ‘पीटीआई-’ से बातचीत में कहा, “कृपया मुद्दों को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने के लिए आगे आएं. भारत सरकार तैयार है. आपने किसानों के मुद्दे को देखा है. जब मामला शांत था तो हमने उन्हें समझाने की कोशिश की. जब मुद्दा हल नहीं हुआ, तो हम उनकी मांग पर सहमत हुए और उन विधेयकों (तीन कृषि कानूनों) को वापस ले लिया गया. इसलिए भारत सरकार अड़ियल नहीं है.”
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