Bombay HC Judgement: नाबालिग से पासपोर्ट रखने का अधिकार नहीं छीना जा सकता; पुणे की छात्रा को बॉम्बे हाईकोर्ट से राहत
Bombay High Court

Bombay High Court Judgement: पुणे की 16 वर्षीय नाबालिग छात्रा को पासपोर्ट रखने के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपना अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने गुरुवार को क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय, पुणे को निर्देश दिया कि छात्रा को पासपोर्ट जारी किया जाए. दरअसल, छात्रा जापान में एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक कार्यक्रम, साकुरा साइंस हाई स्कूल प्रोग्राम, में शामिल होने के लिए चयनित हुई है. छात्रा के पासपोर्ट आवेदन में उसके पिता के आपत्ति के कारण रुकावट आ गई थी.

इसके बाद छात्रा की मां, जो उसकी कानूनी अभिभावक हैं, ने इस मामले में कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उन्होंने तर्क दिया कि उनके पति, जो उनसे अलग रहते हैं, की सहमति लेना व्यावहारिक नहीं है.

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नाबालिग के लिए पासपोर्ट जारी किया जा सकता है: HC

छात्रा की मां की ओर से वकील ने कोर्ट में दलील दी कि माता-पिता के बीच चल रहे घरेलू हिंसा और तलाक के मामलों के चलते पिता की अनुमति लेना संभव नहीं है. उन्होंने यह भी बताया कि पासपोर्ट एक्ट के तहत एक अभिभावक के घोषणा पत्र पर नाबालिग के लिए पासपोर्ट जारी किया जा सकता है. इसके बावजूद, क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय ने 18 नवंबर, 2024 को एक पत्र जारी कर पिता की सहमति के बिना पासपोर्ट प्रक्रिया को रोक दिया.

''छात्रा को व्यक्तिगत स्वतंत्रता और यात्रा का अधिकार है''

न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी और अद्वैत सेठना की खंडपीठ ने कहा कि छात्रा को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्तिगत स्वतंत्रता और यात्रा का अधिकार है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि माता-पिता के विवादों के कारण इस अधिकार को रोका नहीं जा सकता. जजों ने यह भी कहा कि पासपोर्ट अधिकारियों का यह यांत्रिक दृष्टिकोण छात्रा के भविष्य को नुकसान पहुंचा सकता है.

अदालत ने क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय के पत्र को रद्द कर दिया और दो सप्ताह के भीतर छात्रा को पासपोर्ट जारी करने का आदेश दिया.