वाराणसी, 30 अक्टूबर: दीपावली का त्योहार बच्चों के लिए किसी खेल से कम नहीं होता. खतरा के बावजूद इस मौके पर उन्हें आतिशबाजी में कुछ ज्यादा ही मजा आता है. खतरनाक पटाखों पर प्रतिबंध लगने के बाद भी वे दीपपर्व का आनंद उठा ही लेते हैं. यह भी पढ़े: Choti Diwali 2021: कब है छोटी दीवाली? जानें इसका महत्व, पूजा विधि एवं शुभ मुहूर्त
इस बीच वाराणसी की एक स्कूली छात्रा ने इस दिवाली पर बच्चों के लिए एक नायाब खिलौने को इजाद किया है. यह एक अनोखा दीया है जो रोशनी के साथ आतिशबाजी का भी भरपूर आनंद देता है. वाराणसी के सक्षम स्कूल में मात्र 12 साल की कक्षा सात में पढ़ने वाली अपेक्षा पटेल ने दिवाली के लिए एक इनोवेटिव मिट्टी का दीया तैयार किया है. यह दीया प्रदूषण रहित है, क्योंकि यह सोलर पैनल से चार्ज होने पर जलता है.
वैसे इसे तेल से भी जलाया जा सकता है. अपेक्षा ने अपने इस अनोखे दीए का नाम चार्जेबल प्रदूषण रहित पटाखा रखा है. कक्षा सात में पढ़ने वाली बच्ची द्वारा बनाया गया यह प्रदूषण रहित थ्री इन वन पटाखे वाला दीया इस समय बनारस में काफी चर्चा में है. छात्रा ने इस मिट्टी के स्मार्ट दिये में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया है कि ये रोशनी के साथ-साथ पटाखे जैसे तेज आवाज भी करते है. यह रिमोट से जलता है, जिसमें सेंसर लगाया गया है और दीये के सामने आते ही तेज पटाखे जैसा आवाज करता है.
अपेक्षा ने बताया कि पटाखे के धुंए के कारण प्रदूषण बहुत फैलता था, इसी कारण यह स्मार्ट प्रदूषण रहित पटाखा दीया बनाया है. इसे दीए को मिट्टी और कुछ उपकरणों को जोड़कर बनाया गया है. इसमें खिलौने का रिमोर्ट इसमें इस्तेमाल किया है. दीया सोलर से चार्ज हो जाता है. पटाखे के आनंद के लिए एक इलेक्ट्रिानिक सर्किट लगा है. जो रिमोट दबाते ही पटाखे की आवाज करने लगता है. एक बार में 450 बार यह पटाखा आवाज करता है.
तीन घंटे चार्ज होंने पर 4-5 दिनों तक चलेगा. स्पार्क पटाखा कई सालों तक चलाया जा सकता है. छात्रा अपेक्षा पटेल ने मेक इन इंडिया फामूर्ला के तहत अपने इस शानदार दिये का नाम प्रदूषण रहित दिवाली गैजेट दिया है. उन्होंने बताया कि प्रदूषण रहित स्मार्ट दिये बनाने में 12 दिन का समय लगा है और इसमें 350 रुपये का खर्च आया है. वाराणसी के सक्षम इंग्लिश स्कूल की संस्थापिका सुबिना चोपड़ा व विनीत चोपड़ा का कहना है कि उनके विद्यालय में बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ इनोवेषन के क्षेत्र में विशेष ध्यान दिया जाता है. इसके लिए स्कूल में जूनियर कलाम इनोवेशन लैब की स्थापना की गई है. इस लैब में बच्चे नए आईडिया को साकार करते हैं.