नई दिल्ली, 22 जनवरी : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने दिल्ली के त्याग राज स्टेडियम में फिनलैंड, कैंब्रिज और सिंगापुर में प्रशिक्षण में भाग लेने वाले शिक्षकों के साथ बातचीत की और उनके अनुभवों को सुना. इस मौके पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमने अपने सरकारी स्कूलों में टीचरों को सबसे अच्छी ट्रेनिंग के लिए विदेश भेजा और भेजते रहेंगे. आज हमारे टीचरों के अंदर जो ऊर्जा, जज्बा और लग्न देखने को मिलती है, अगर वह 50 परसेंट भी विद्यार्थियों में ट्रांसफर हो जाय तो हम कामयाब हो जाएंगे.
विदेश की शिक्षा प्रणाली को देख कर आए इन सभी शिक्षकों ने एक बात कही जो बहुत खास थी कि विदेश जाने से पहले हम सभी शिक्षक अपने आप को मैनेजर समझते थे लेकिन आज ऐसा नहीं है. हम शिक्षक अपने आपको मैनेजर नहीं समझते. हम लोगों ने वहां से जो अनुभव लिए हैं वह अनुभव हम बच्चों में बांटते हैं जिसका बहुत असर विद्यार्थियों पर पड़ता है. यह भी पढ़ें :Delhi: स्नैचिंग का विरोध करने पर दो लड़कों ने की युवक की हत्या, हुए गिरफ्तार
केजरीवाल ने कहा कि "हमारे देश में कुछ लोगों की सोच है कि सरकारी स्कूलों में तो गरीब बच्चे पढ़ते हैं. उनको पढ़ाने के लिए शिक्षकों को विदेश ट्रेनिंग के लिए भेजने की क्या जरूरत है. मैं आपको बताता हूं, जब हमारे शिक्षक विदेश जाकर वहां के स्कूल कॉलेज की लैब देखते हैं, स्टीफन हॉकिंस का कॉलेज देखते हैं, तो प्रैक्टिकली उन चीजों को देखने का जो अनुभव है वह अलग ही होता है. अनुभव विदेश जाकर ही मिलता है. वहां के स्कूलों और शिक्षा व्यवस्था के बारे में सुनकर या पढ़कर वैसा अनुभव प्राप्त नहीं हो सकता उसके लिए आपको विदेश जाकर ही प्रशिक्षण और अनुभव लेना होगा."
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैं तो सिर्फ दो बार ही विदेश गया हूं. मुझे विदेश जाने का शौक नहीं है. मैं तो चाहता हूं कि हमारे शिक्षक बेस्ट ट्रेनिंग के लिए विदेश जाएं. हमने दिल्ली के सरकारी स्कूलों को दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों से बेहतर बना दिया है. अब हमारा मकसद और कंपटीशन है कि दिल्ली के स्कूल दुनिया के सबसे अच्छे स्कूल बन जाएं. केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में शिक्षा के क्षेत्र में बहुत कुछ अच्छा हुआ है. और अभी बहुत कुछ अच्छा करना है. 2015 से पहले दिल्ली में स्कूल टेंट में चला करते थे. अब टेंट वाले स्कूल टैलेंट वाले स्कूल बन गए हैं.
पहले दिल्ली के स्कूलों में छत से पानी टपकता था, बैठने की व्यवस्था नहीं थी, सुरक्षा की व्यवस्था नहीं थी, बच्चे कहीं भी बिना बताए चले जाया करते थे. आज दिल्ली के स्कूलों में सारी व्यवस्थाएं हैं. हमने स्कूलों का इन्फ्राट्रक्च र बेस्ट बना दिया है. हमारे शिक्षक विदेशों में ट्रेनिंग करने जाते हैं. पिछले सालों में देखा जाए तो छात्र प्राइवेट स्कूलों को छोड़कर सरकारी स्कूलों में आए हैं. हमारे शिक्षक बच्चों को पूरी ऊर्जा और तन्मयता के साथ पढ़ाते हैं. और उसके नतीजे सबके सामने हैं. 75 साल में किसी राज्य के अंदर 99.7 फीसदी नतीजे नहीं आए. आज बिना कोचिंग के भी हमारे बच्चे आईआईटी पास कर रहे हैं. जेईई पास कर रहे हैं.
शिक्षक जो विदेशों से सीख कर आए हैं लोग इसको खर्चा मानते हैं. मैं इसको इन्वेस्टमेंट मानता हूं. मेरा मानना है कि देश में 4 पुल कम बना लो, 4 सड़कें कम बना लो, लेकिन शिक्षकों को प्रशिक्षण अच्छा दो. क्योंकि बेस्ट प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षकों से बच्चे जब पढ़कर निकलेंगे तो वह 10 सड़कें और बनवा देंगे.