नयी दिल्ली: कर्ज में डूबी एयर इंडिया (Air India) का नया मालिक टाटा ग्रुप (Tata Group) बन गया है. राष्ट्रीय विमान वाहक की वित्तीय बोलियों की जांच के बाद केंद्र सरकार ने टाटा संस (Tata Sons) को एयर इंडिया की कमान सौंपने का फैसला किया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, कर्ज में फंसी एयर इंडिया को खरीदने के लिए टाटा सन्स ने 18 हजार करोड़ की बोली लगाई थी. 68 साल पहले 1953 में भारत सरकार ने टाटा ग्रुप से एयर इंडिया का मालिकाना हक खरीदा था. एयर इंडिया को सौंपने के लिए टाटा बेहतर कॉरपोरेट घराना : मोंटेक सिंह अहलूवालिया
गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाला एआईएसएएम (एयर इंडिया स्पेसिफिक अल्टरनेटिव मैकेनिज्म) ने टाटा ग्रुप को बोली का विजेता घोषित किया है. एआईएसएएम एक अधिकार प्राप्त जीओएम है, जिसके पास कैबिनेट की मंजूरी की आवश्यकता के बिना, इस मामले पर अंतिम निर्णय लेने का अधिकार है.
उम्मीद जताई जा रही है कि तीन-चार महीने के भीतर एयर इंडिया को पूरी तरह से टाटा ग्रुप को सौंपने की प्रक्रिया ख़त्म हो जाएगी. केंद्र को 15 सितंबर को एयर इंडिया के विनिवेश के लिए कई वित्तीय बोलियां मिली थीं. हाल ही में, केंद्र ने राष्ट्रीय वाहक से एयर इंडिया एसेट्स होल्डिंग लिमिटेड, एक विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) को संपत्ति के हस्तांतरण पर कर माफ करने का निर्णय लिया.
Tata Sons wins the bid for acquiring national carrier Air India pic.twitter.com/XgAW5YBQMj
— ANI (@ANI) October 8, 2021
वित्त वर्ष 2022 के बजट भाषण के दौरान, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सभी प्रस्तावित निजीकरण की प्रक्रिया वित्तीय वर्ष के अंत तक पूरी हो जाएगी, जिसमें एयर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश भी शामिल है. एयरलाइन में अपनी हिस्सेदारी बेचने का मौजूदा केंद्र सरकार का यह दूसरा प्रयास है.
Welcome back, Air India 🛬🏠 pic.twitter.com/euIREDIzkV
— Ratan N. Tata (@RNTata2000) October 8, 2021
कोरोना महामारी से पहले एयरलाइन, स्टैंडअलोन आधार पर, 50 से अधिक घरेलू और 40 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय गंतव्यों का संचालन करती थी. इसके अलावा, इसने कोविड महामारी से पहले 120 से अधिक विमानों का संचालन किया. उस अवधि के दौरान, एयरलाइन में 9,000 से अधिक स्थायी और 4,000 संविदा कर्मचारी थे.